विधानसभा में निजी स्कूलों की मनमानी पर उठे सवाल

विधानसभा में निजी स्कूलों की मनमानी पर उठे सवाल

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  • आरटीई के परिपालन एवं फीस निर्धारण के लिए नियामक आयोग के गठन की मांग
  • शासन का उद्देश्य प्रदेश में शिक्षा व्यवसाय न बने और हर वर्ग के बच्चों को समान शिक्षा मिल सके-स्कूल शिक्षा मंत्री

रायपुर । विधानसभा vidhan sabha में आज राईट टू एजुकेशन RTI के नाम पर निजी स्कूलों में व्याप्त अनियमितताओं एवं मनमानी पूर्ण निर्णयों पर सवाल उठाए गए। शिक्षा मंत्री डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम prem sai singh tekam ने सख्त कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दिया और पक्ष एवं विपक्ष के उत्तेजित सदस्यों को शांत किया। उन्होंने कहा कि शासन का उद्देश्य यह है कि प्रदेश में शिक्षा व्यवसाय न बने और हर वर्ग के बच्चों को समान शिक्षा मिल सके।
प्रश्रकाल में आज शिक्षा मंत्री श्री टेकाम ने सदस्यों के प्रश्रों के जवाब में बताया कि निजी स्कूलों में फीस निर्धारण के पूर्व स्कूल प्रबंधन समिति बनाई जाती है। इस समिति में बच्चों के पालकों का भी प्रतिनिधित्व होता है। इनकी सहमति से ही सालाना स्कूल फीस निर्धारित की जाती है। इस समिति की रिपोर्ट शिक्षा अधिकारी को भेजी जाती है, जिसके बाद ही स्कूल की मासिक फीस पर निर्णय होता है।
विपक्षी सदस्यों में रजनीश कुमार सिंह, श्रीमती इंदू बंजारे ने प्रश्र किया जिसका समर्थन अन्य विपक्षी सदस्यों ने भी किया। नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, अजय चंद्राकर, शिवरतन शर्मा, धर्मजीत सिंह ने भी कहा कि कक्षा 9वीं से 12वीं तक निजी स्कूलों के लिए भी दिशा-निर्देश जारी कर फीस निर्धारण के लिए नियामक आयोग का गठन कब तक किया जाएगा। इसके जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसकी प्रक्रिया चल रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं जकांछ के प्रदेश अध्यक्ष अजीत जोगी ने विधानसभा vidhan sabha  अध्यक्ष  की अनुमति से प्रश्र करते हुए कहा कि प्रदेश में कुछ बड़े शिक्षा संस्थानों ने अल्पसंख्यक बच्चों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण रखने के बहाने आरटीई से बचने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों द्वारा आरटीई के नियम का पालन नहीं किया गया है उनके खिलाफ शीघ्र कार्रवाई की जानी चाहिए। श्री जोगी ने यह भी कहा कि आरटीई के तहत शिक्षा के लिए केन्द्र से आने वाली करोड़ों की राशि राज्य को नहीं मिली है उस राशि को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार केन्द्र से मांग करें और शीघ्र ही उसका भुगतान यहां के स्कूलों को करें ताकि आरटीई के तहत स्कूलों में बच्चों को प्रवेश मिल सके। इसके जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि आईटीई के तहत शिक्षा के लिए केन्द्र से 168 करोड़ रूपये मांगा गया था जिसके तुलना में सिर्फ 49 करोड़ ही प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि शेष राशि केन्द्र से मिलनी बाकी है।

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