संपादकीय: मुनीर की मेहमाननवाजी के मायने

The meaning of Munir's hospitality
The meaning of Munir’s hospitality: ईरान और इजराइल की चल रही जंग के दौरान पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर पिछले एक सप्ताह से अमेरिका में मेहमानवाजी का लुत्फ उठा रहे हैं। ईरान और इजराइल के बीच जंग शुरू होते ही असीम मुनीर अमेरिका पहुंच गये थे। उनके अमेरिका प्रवास को लेकर पहले तो पाकिस्तान की मीडिया ने यह दावा किया है कि 14 जून को अमेरिका में होने वाली परेड में शामिल होने के लिए जनरल असीम मुनीर को अमेरिका ने आमंत्रित किया है जो पाकिस्तान के लिए बड़े ही फक्र की बात है। किन्तु बाद में अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया कि असीम मुनीर को परेड में आमंत्रित नहीं किया गया है।
इसके बाद से पाकिस्तान में असीम मुनीर के अमेरिका प्रवास के खिलाफ लोग आवाज उठाने लगे। अमेरिका में रहने वाले प्रवासी पाकिस्तानियों ने भी असीम मुनीर के खिलाफ वाशिंगटन में जमकर विरोध प्रर्दशन किया। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनरल असीम मुनीर को वाइट हाउस में लंच पर आमंत्रित किया। इसे लेकर भी पाकिस्तान में असीम मुनीर की खूब आलोचना हुई है।
गौरतलब है कि ईरान और इजराइल के बीच चल रही जंग में पाकिस्तान ने पहले तो ईरान के साथ खड़े होने का दम भरा था लेकिन अमेरिका द्वारा लगाई गई कड़ी फटकार के बाद पाकिस्तान ने ईरान का साथ देने से किनारा कर लिया। यहां तक की उसने ईरान बॉर्डर को भी बंद कर दिया। ऐसे में अब यह तय हो गया है कि अन्य मुस्लिम देशों की तरह ही पाकिस्तान भी इस जंग में ईरान का साथ नहीं देगा। पाकिस्तान को इसके लिए अमेरिका ने ही धमकी चमकी देकर तैयार किया है। असीम मुनीर को इसीलिए एक सप्ताह से अमेरिका में रोक कर रखा गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यह जानते हैं कि पाकिस्तान का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति दोनों ही पाकिस्तानी सेना के हाथों की कठपुतली हैं। पाकिस्तान का सबसे बड़ा बॉस वहां का आर्मी चीफ ही होता है। इसी वजह से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की जगह आर्मी चीफ असीम मुनीर को अमेरिका बुलाकर उनकी जमकर खातिरदारी की गई। और उन्हें शीशे में उतार लिया गया। अमेरिका के एहसान तले पहले से ही पाकिस्तान दबा हुआ है। ऊपर से पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है।
ऐसे में पाकिस्तान को अमेरिका के मदद की दरकार है। असीम मुनीर भिख का कटोरा लेकर ही अमेरिका गये थे और अमेरिका ने उन्हें जरूर वित्तिय सहायता देने का आश्वासन दिया होगा लेकिन बदले में पाकिस्तान के सामने यह शर्त भी रखी होगी कि वह ईरान का समर्थन न करे। जाहिर है असीम मुनीर के सामने अमेरिका की शर्त कबूल करने के अलावा और कोई रास्ता ही नहीं रह गया है। अब तो संभावना यह भी है कि अमेरिका जो की ईरान और इजराइल के बीच चल रही जंग में कूदने का मंसूबा बना रहा है। वह पाकिस्तान की जमीन का ईरान पर हमले के लिए उपयोग करेगा।
इसके लिए ही एक सप्ताह से असीम मुनीर की मेहमान नवाजी की जा रही है। कुल मिलाकर पाकिस्तान अब अमेरिका के जाल में फंस चुका है। उसके लिए एक तरफ कुंआ और दूसरी तरह खाई वाली स्थिति निर्मित हो गई है। यदि पाकिस्तान अमेरिका को ईरान के खिलाफ अपने ऐयरबेसों के इस्तेमाल की अनुमति देता है तो जाहिर है पाकिस्तान ईरान के निशाने पर आ जाएगा। ईरान के साथ पाकिस्तान के संबंध वैसे भी बेहतर नहीं रहे हैं। यदि पाकिस्तान अमेरिका के दबाव में आकर ईरान के खिलाफ जाता है तो आने वाले समय में उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। फिलहाल तो पाकिस्तान के सामने अमेरिका की बात मानने के अलावा और कोई चारा नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रति अपना प्यार दिखाया है और यह बयान दिया है कि वे पाकिस्तान से बेहद मोहब्बत करते हैं। इसका मतलब साफ है कि डोनाल्ड ट्रंप ईरान के खिलाफ पाकिस्तान का उपयोग करेंगे। भले ही इससे पाकिस्तान की ईरान से दुश्मनी बढ़ जाये। अब देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तानी आर्मी चीफ जब अमेरिका से वापस पाकिस्तान आते हैं तो पाकिस्तान की आवाम उनके खिलाफ कैसा प्रदर्शन करती है।