बारुदी सुरंग को दो करोड़ के इनामी नक्सली माड़वी हिड़मा ने बनवाया, हमास की तर्ज पर सुरंग में मिली हथियारों की फैक्ट्री
रायपुर। Chhattisgarh’s biggest Naxalite operation दो दिन (16 और 17 जनवरी ) तक चले छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े नक्सली ऑपरेशन में अब तक का सबसे बड़ा खुलासा हुआ है। इस ऑपरेशन के दौरान जवानों की ओर से बनाया गया एक वीडियो सामने आया है, जो इस नक्सल अभियान की सच्चाई और नक्सलियों के नापाक मंसूबों को उजागर करता है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में पहली बार फिलिस्तीन के हमास आतंकियों की तरह सुरंग में हथियारों की फैक्ट्री मिली है।
बताया जाता है कि इस बारुदी सुरंग को दो करोड़ के इनामी नक्सली माड़वी हिड़मा ने बनवाया था। नक्सलियों ने हमास आतंकवादियों की तरह छुपने के लिये सुरंगों में ठिकाना बनाया हुआ था। बड़ी लेथ मशीनों के जरिये नक्सली बंदूकें, देसी रॉकेट और राकेट लॉन्चर बना रहे थे। सुरंगों में हथियार बनाने की फैक्टरी लगा रखी थी। नक्सलियों की इसी सुरंग में देसी रॉकेट और रॉकेट लांचर बनाये जाते थे। दूसरी ओर दुर्दांत नक्सली हिड़मा की बटालियन पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी और सेंट्र्ल रीजनल कमेटी से ज्वॉइट फोर्स की जब मुठभेड़ चल रही थी। इस दौरान जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली हिड़मा और देवा पहाड़ी की तरफ भाग घने जंगलों की ओर जान बचाकर भाग निकले। माना जा रहा है कि वह सुकमा के बीहड़ क्षेत्रों में या तेलंगाना की सीमा में छुपा बैठा है। यदि वह फोर्स के इस खास नक्सल ऑपरेशन से नहीं बच पाता, तो उसका एनकाउंटर तय था।
हिड़मा के बटालियन पीएलजीए की कमर टूटी
ऐसे में माना जा रहा है कि खूंखार नक्सली हिड़मा के बटालियन पीएलजीए की पूरी तरह से कमर टूट चुकी है। इस बड़े नक्सल ऑपरेशन में तीन जिलों के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), सीआरपीएफ की विशिष्ट जंगल युद्ध इकाई कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन) की पांच बटालियन और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 229वीं बटालियन के जवान शामिल थे।
बीजापुर जिले के उसूर ब्लॉक के पुजारी कांकेर व मारुड़बाका के जंगल में गुरुवार को सुरक्षाकर्मियों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस दौरान सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में 12 नक्सलियों को मार गिराया था, जिनके शव भी बरामद कर लिये गये हैं। जवानों ने हथियारों का बड़ा जखीरा भी बरामद किया है। गुरुवार को सुरक्षाकर्मियों की एक संयुक्त टीम नक्सल विरोधी अभियान पर निकली थी। दक्षिण बीजापुर के जंगल में देर रात से सुबह तक रुक-रुक कर मुठभेड़ होती रही। नक्सली बड़ी बैठक ले रहे थे। इसमें छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना कैडर के हार्ड कोर नक्सली बैठक में शामिल थे।
सुरंग में हथियारों का जखीरा
सुरक्षाबलों को तलाशी में सुरंग में हथियारों का बड़ा जखीरा मिला है। पता चला है कि नक्सली लेथ मशीन की मदद से हथियार बनाते थे। बड़ी संख्या में पाइप, बिजली के तार और अन्य सामग्री मिली है। जवानों ने सुरंग को पाट दिया है।
हिड़मा ने जवानों पर फायरिंग कराने के लिए नाली को जेसीबी की मदद से बनवाया था। फोर्स से छुपाने के लिए सुरंगों को लोहे की मोटी प्लेट से ढक रखा था ताकि गोली अंदर न जा सके और नक्सली सुरक्षित रह सकें। इस सुंरग की लंबाई 12 से 15 फीट और उंचाई करीब 8 फीट बताई जा रही है। बताया जाता है कि जो लोहे की पाइप, बिजली के तार, लोहे की मोटी प्लेट और लेथ मशीन आदि नक्सलियों ने लूटे हुए सामान हैं। चर्चा ये है कि ये सारे सामान नक्सलियों के शहरी नेटवर्क की ओर से उन्हें उपलब्ध कराई जाती है।
कौन है खूंखार नक्सली माड़वी हिड़मा?
बस्तर में नक्सल आतंक का पर्याय बन चुके खूंखार नक्सली माड़वी हिड़मा को संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा जैसे कई और नामों से भी जाना जाता है। सुकमा उसका गढ़ माना जाता है। यहां पर होने वाली सभी नक्सल गतिविधियों पर उसका नियंत्रण रहता है। वह वर्ष 1990 में नक्सलियों के संगठन से जुड़ा। पिछले कई साल से सुरक्षा एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी है। छत्तीसगढ़ में कई नक्सली हमलों को अंजाम देने वाले इस दुर्दांत नक्सली का जन्म सुकमा जिले के पूवर्ती गांव में हुआ था। यह गांव दुर्गम पहा?ियों और घने जंगलों के बीच स्थित है। कहा जाता है कि इस गांव में पहुंचना मुश्किल है। इसके बाद भी फोर्स के हौसले को सलाम है, जो कठिन डगर के बावजूद उसके गढ़ में पहुंच चुकी है।
कई बड़े नक्सली हमले का है मास्टरमाइंड
कद-काठी में छोटे से दिखने वाले हिडमा का नक्सली संगठन में बड़ा नाम है। बताया जाता है कि उसके नेतृत्व काबिलियत के बल पर ही उसे 13 साल की उम्र में नक्सलियों की टॉप सेंट्रल कमेटी का सदस्य बना दिया गया। उसकी परवरिश उस समय हुई जब सुकमा में नक्सली घटनायें चरम पर थीं। बताते हैं कि हिडमा केवल दसवीं तक प?ा है। बताया जाता है कि वह अपने साथ हमेशा एक नोटबुक लेकर चलता है, जिसमें वह अपने नोट्स लिखता रहता है। साल 2010 में ताड़मेटला में हुए हमले में सीआरपीएफ के 76 जवानों की शहादत में हिड़मा का नाम सामने आया था। इसके बाद साल 2013 में हुए झीरम हमले में भी हिडमा की भूमिका थी। इस हमले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं सहित 31 लोग दिवंगत हो गये थे। साल 2017 में बुरकापाल में हुए हमले में भी हिडमा की अहम भूमिका थी। इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहादत को प्राप्त हुए थे। बताते हैं कि हिडमा ने फिलीपींस में गोरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ली है।
पीएलजीए प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सशस्त्र ब्रांच है। पीएलजीए बटालियन नंबर एक को नक्सलियों का सबसे मजबूत बल माना जाता है। इसका नेतृत्व खुद हिड़मा कर रहा है। इस नक्सली ने बीते एक दशक में छत्तीसगढ़ में कई बड़े नक्सली हमले किये हैं। बस्तर संभाग में कुल सात जिले आते हैं जहां पर नक्सलियों का यह संगठन काफी मजबूत है।