आतंकी फंडिंग का फरार आरोपी को रायपुर पुलिस ने दबोचा, क्या है पूरा मामला जानिए….

आतंकी फंडिंग का फरार आरोपी को रायपुर पुलिस ने दबोचा, क्या है पूरा मामला जानिए….

The absconding accused of terrorist funding was caught by the Raipur police, know what is the whole matter….

Terror Funding

रायपुर/नवप्रदेश। Terror Funding : पाकिस्तान के आतंकी संगठन से फंडिंग लेने वाला फरार आरोपी रायपुर पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। आरोपी को दुर्गापुर के एक प्लांट एरिया से पकड़ा गया है। जिसके बाद रायपुर पुलिस की टीम आरोपी को लेकर रायपूर पहुंच रही है। रायपुर आने के बाद आरोपी से मामले में कड़ी पूछताछ की जाएगी।

रायपुर पुलिस को 8 साल से आतंकी फंडिंग का फरार आरोपी राजू खान उर्फ़ राजू सिंह की तलाश थी। जैसे ही पुलिस को मुखबीर से सुचना मिली की आरोपी दुर्गापुर इस्पात संयंत्र में पहले काम करता था और अब इसी क्षेत्र में निवास कर रहा है। रायपुर पुलिस ने तत्काल दुर्गापुर पुलिस को जानकारी दे कर पहुंची। आरोपी को दुर्गापुर नगरी के बी-जोन क्वाटर से गिरफ्तार किया गया।

रविवार की रात दुर्गापुर के महिष्कापुर स्थित क्वार्टर में आरोपी (Terror Funding) छिपा हुआ था जहाँ से उसे रायपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया। सोमवार को उसे दुर्गापुर कोर्ट में पेश किया गया और तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड मिलने पर रायपुर पुलिस आरोपी को रायपुर मंगलवार शाम तक लेकर पहुंचेगी। पुलिस ने राजू को यूएपीए एक्ट, धोखाधड़ी, आइपीसी-419, 66 सी आइटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया है।

दरअसल, ये मामला वर्ष 2013 का है। इस मामले में आंतकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन और सिमी को पाकिस्तान से आने वाले पैसे पहुंचाने वाले नेटवर्क में राजू खान(Terror Funding) शामिल था। इससे पहले 25 नवंबर को रायपुर कोर्ट ने नेटवर्क में शामिल 4 आरोपियों धीरज साव, जुबैर हुसैन, आयशा बानो और पप्पू मंडल को 10-10 साल की सजा सुनाई है। इस मामले में राजू के खाते में भी पैसे आते थे। रायपुर पुलिस अब इस आरोपी से विस्तृत पूछताछ करने की तैयारी में है। इस मामले में और संदिग्ध लोगों की गिरफ्तारी राजू खान के बायां के बाद संभव है।

गौरतलब है कि चिकन ठेले वाला धीरज साव की गिरफ्तारी के बादआतंकी फंडिग का राज 2013 में खुला था। धीरज साव के फोन कॉल से ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। उसने पाकिस्तान के एक आतंकी के संपर्क में होना कबूला था। उसने कहा था कि आतंकी संगठन से उसके पास रुपये आते थे। उन रुपयों में से 13 फीसदी कमीशन काटकर बाकी पैसा वह जुबैर, आयशा, राजू खान समेत अन्य के बैंक खाते में डाल देता था।

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