Tendu Leaves Payment : वन संपदा से समृद्धि का संकल्प – कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस में लघु वनोपजों से आजीविका बढ़ाने पर जोर

Tendu Leaves Payment

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Tendu Leaves Payment : प्रदेश में आयोजित कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस में इस बार चर्चा का केंद्र था, लघु वनोपजों को ग्रामीण आजीविका का मजबूत आधार बनाना। बैठक में निर्णय लिया गया कि वनाचलों में लघु वनोपजों (Minor Forest Produce) को न केवल आय का स्रोत बनाया जाए, बल्कि इससे जुड़े स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा दिया जाए।

कलेक्टरों और डीएफओ को निर्देश दिए गए कि वन धन केन्द्रों को मजबूत किया जाए, ताकि ग्रामीण स्तर पर वनोपज प्रसंस्करण और विपणन की प्रक्रिया सशक्त हो सके। साथ ही, छत्तीसगढ़ हर्बल और संजीवनी उत्पादों को प्रमोट करने पर भी विशेष जोर रहा। अधिकारियों से कहा गया कि ग्रामीण और शहरी बाजारों में इन उत्पादों की बिक्री के लिए अधिक से अधिक अवसर पैदा किए जाएं, जिससे स्थानीय उत्पादों का मार्केट विस्तार हो और कारीगरों को उचित मूल्य मिल सके।

औषधीय पौधों की खेती को लेकर भी विस्तृत चर्चा हुई। धमतरी, मुंगेली और जीपीएम जिलों में औषधीय पौधों (Tendu Leaves Payment) की खेती पर कार्यों की जानकारी साझा की गई। अधिकारियों का मानना है कि इन पौधों की खेती न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है, बल्कि परंपरागत उपचार पद्धतियों के ज्ञान को भी आगे बढ़ाने का माध्यम बन सकती है।

औषधीय पादप बोर्ड के सीईओ ने बताया कि राज्य में इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और यदि इसे योजनाबद्ध ढंग से आगे बढ़ाया जाए, तो हजारों परिवारों की आजीविका इससे जुड़ सकती है।

बैठक में निर्देश दिया गया कि औषधीय पौधों की खेती के विस्तार के लिए प्रचार-प्रसार गतिविधियां तेज की जाएं। इसके लिए कृषि और उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले की मदद ली जाएगी, ताकि किसान और वनवासी इन योजनाओं से अधिक से अधिक जुड़ सकें।

इसी के साथ तेंदूपत्ता संग्राहकों (Tendu Leaf Collectors) से जुड़ी व्यवस्थाओं की समीक्षा की गई। चर्चा के दौरान बताया गया कि वनोपज से आजीविका के तहत लगभग 15 लाख 60 हजार संग्राहक अब ऑनलाइन प्रणाली से जुड़े हैं। सभी भुगतान बैंक खातों के माध्यम से किए जा रहे हैं और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि तेंदूपत्ता (Tendu Leaves Payment) का भुगतान 7 से 15 दिनों के भीतर हो। इसके अलावा, संग्राहकों को भुगतान की जानकारी SMS के माध्यम से उनके मोबाइल पर भेजने की व्यवस्था की जाएगी।

बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिलों में पिछले सीजन के संग्रहण कार्यों की समीक्षा करते हुए आगामी सीजन के लिए कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश भी दिए गए। सम्मेलन में यह भी तय किया गया कि तेंदूपत्ता संग्रहण प्रक्रिया को पूरी तरह कंप्यूटरीकृत करने की दिशा में तेजी से कदम उठाए जाएंगे।

प्रदेश सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है – वनों से मिलने वाली संपदा को सिर्फ प्राकृतिक संसाधन (Tendu Leaves Payment) न मानकर, उसे स्थानीय आजीविका, परंपरा और आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बनाना।