Teacher Rationalisation Scam : वरिष्ठों को कनिष्ठ बताया, पद छुपाया, अफसरों ने खेला ‘युक्तियुक्तकरण’ का बड़ा खेल

Teacher Rationalisation Scam
Teacher Rationalisation Scam : प्रदेश में कम शिक्षक वाले स्कूलों में स्टाफ की समुचित तैनाती के लिए शुरू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया (Teacher Rationalisation Scam) अफसरों की मनमानी और भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई। जिलों के शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ने नियमों को ताक पर रखकर मनमाने तबादले किए।
वरिष्ठ शिक्षकों को कनिष्ठ दिखाया गया, विषयवार रिक्त पद छुपाए गए और अपनी पसंद के अनुसार पदस्थापनाएं दी गईं। इस गड़बड़ी (Teacher Rationalisation Scam) की पुष्टि अब संभागीय आयुक्तों की अध्यक्षता वाली जांच समितियों ने भी कर दी है।
सरकार की इस नीति का उद्देश्य शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों को सशक्त बनाना था, लेकिन अफसरों की मनमानी से शिक्षा व्यवस्था (Teacher Rationalisation Scam) चरमरा गई। अब तक लगभग एक हजार शिक्षकों ने न्यायालय की शरण ली है। केवल बस्तर में ही 488 शिक्षकों ने विसंगतियों की शिकायत करते हुए कमिश्नर के समक्ष अभ्यावेदन दायर किए, जबकि रायपुर संभाग में 509 शिक्षकों ने आपत्तियां दर्ज कराईं – जिनमें से 103 शिकायतें सही पाई गईं।
गड़बड़ी का जाल हर संभाग में फैला
राज्य में युक्तियुक्तकरण के तहत कुल 16,165 शिक्षकों और प्राचार्यों (Teacher Rationalisation Scam) का समायोजन किया गया। परंतु कई जिलों में वरिष्ठ शिक्षकों को “अतिशेष” घोषित कर दिया गया, जबकि कनिष्ठों को बरकरार रखा गया।
रायपुर : 184 आवेदनों में 20 शिकायतें सही पाई गईं।
धमतरी : 81 आवेदनों में 26 मामलों में गड़बड़ी सिद्ध हुई।
गरियाबंद : 137 आवेदनों में 45 शिकायतें मान्य।
महासमुंद : 85 में से 12 शिकायतें सही, जिनमें महिला शिक्षिकाओं के आरक्षण उल्लंघन के मामले सामने आए।
दुर्ग जिले (Teacher Rationalisation Scam) में 631 शिक्षकों को अतिशेष घोषित किया गया था, जिनमें से 161 ने अपील की। केवल 16 को ही राहत मिली।
राजनांदगांव में तीन शिक्षकों ने नई जगह ज्वाइन नहीं किया, जबकि बस्तर संभाग में अब भी 534 शिक्षक अतिशेष हैं।
बिलासपुर में 753 में से 500 शिक्षकों ने नई जगह कार्यभार ग्रहण किया, जबकि 163 मामलों में न्यायालय ने हस्तक्षेप किया।
कोरबा में 535 शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ, लेकिन 48 अब भी अनुपस्थित हैं।
सरगुजा संभाग के 71 मामलों में गड़बड़ी की पुष्टि हुई।
मनमानी और मिलीभगत के आरोप
बलौदाबाजार के पीएम स्कूल टुंड्रा में शिक्षक वागेंद्र देवांगन को अतिशेष बताकर दूसरे स्कूल भेजा गया, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से उन्हें पुनः पुराने स्कूल में तैनात कर दिया गया। इसने युक्तियुक्तकरण की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए।
वहीं, कई अफसरों को सस्पेंड किया गया
दुर्ग के बीईओ गोविंद साव ने अपनी पत्नी को सूची से बाहर रखा।
गरियाबंद के बीईओ के.एल. मतावले ने विषयवार सूची में हेराफेरी की।
मनेंद्रगढ़ के बीईओ सुरेंद्र जायसवाल और बम्हनीडीह के बीईओ एम.डी. दीवान पर अनियमितताओं के आरोप सिद्ध हुए।
जगदलपुर के बीईओ मान सिंह भारद्वाज को गड़बड़ी के आरोप में निलंबित किया गया।
कमिश्नर स्तर पर चल रही पुष्टि
संभागीय जांच समितियों ने सभी जिलों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। जांच पूरी होते ही दोषी अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई (Teacher Rationalisation Scam) तय मानी जा रही है। शिक्षा विभाग ने भी संकेत दिए हैं कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया की समीक्षा फिर से की जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह की विसंगतियां न हों।