Tamnar Fake Jansunwai Case : जिंदल कर्मचारियों के हस्ताक्षर से हुई फर्जी जनसुनवाई, कांग्रेस जांच कमेटी की रिपोर्ट में बड़ा दावा
Tamnar Fake Jansunwai Case
रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में हुई हिंसा और जनसुनवाई विवाद को लेकर गठित कांग्रेस की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कांग्रेस ने इस रिपोर्ट के जरिए भाजपा सरकार, प्रशासन और उद्योग समूह पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
कांग्रेस का दावा है कि तमनार में जिस जनसुनवाई को आधार बनाकर खनन परियोजना आगे बढ़ाई गई, वह वास्तविक ग्रामीणों की नहीं बल्कि जिंदल कंपनी के कर्मचारियों के हस्ताक्षर से कराई गई फर्जी प्रक्रिया थी, जिसे कांग्रेस ने सीधे तौर पर फर्जी जनसुनवाई (Tamnar Fake Jansunwai Case) करार दिया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए कहा कि तमनार की घटना भाजपा की गांव, गरीब और आदिवासी विरोधी नीतियों का परिणाम है। जांच समिति ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों, पीड़ित परिवारों और प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत की, जिसमें स्पष्ट हुआ कि जनसुनवाई का ग्रामीणों ने खुलकर विरोध किया था। इसके बावजूद प्रशासन की मौजूदगी में जबरन और कागजी तौर पर सुनवाई पूरी कर दी गई, जिसे कांग्रेस ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया का खुला मजाक (Tamnar Fake Jansunwai Case) बताया।
जिंदल कर्मचारियों के हस्ताक्षर से पूरी की गई प्रक्रिया
कांग्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जनसुनवाई में स्थानीय ग्रामीणों की वास्तविक भागीदारी नहीं थी। पार्टी का दावा है कि मात्र 15 से 20 जिंदल कर्मचारियों के हस्ताक्षर से पूरी जनसुनवाई को वैध दिखाया गया।
दीपक बैज ने आरोप लगाया कि धरना दे रहे ग्रामीणों से न तो कलेक्टर ने संवाद किया और न ही पुलिस अधीक्षक ने कोई पहल की। प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता ने हालात को और बिगाड़ा, जो आगे चलकर हिंसा का कारण बनी। कांग्रेस ने इसे प्रशासनिक लापरवाही और मिलीभगत (Tamnar Fake Jansunwai Case) बताया।
लाठीचार्ज से बिगड़ा माहौल, जिम्मेदारी तय हो
कांग्रेस ने 27 दिसंबर को हुए पुलिस लाठीचार्ज को बर्बर कार्रवाई बताते हुए कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आदिवासी ग्रामीणों पर बल प्रयोग कर माहौल जानबूझकर बिगाड़ा गया।
पार्टी का कहना है कि तमनार हिंसा की पूरी जिम्मेदारी पुलिस-प्रशासन पर बनती है। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि सरकार अब तक दोषियों की पहचान क्यों नहीं कर पाई और कब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। इस पूरे घटनाक्रम को कांग्रेस ने आदिवासी आंदोलन को कुचलने की साजिश (Tamnar Fake Jansunwai Case) बताया।
जांच दल ने मौके पर जाकर की पड़ताल
दीपक बैज के नेतृत्व में गठित जांच समिति ने तमनार पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और पीड़ित ग्रामीणों से बातचीत की। बैज ने रायगढ़ कलेक्टर और एसपी पर सीधी कार्रवाई की मांग करते हुए न्यायिक जांच कराने की मांग भी दोहराई। उन्होंने कहा कि आदिवासी चोरी-छिपे कराई गई फर्जी जनसुनवाई के विरोध में शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे।
पुलिस-प्रशासन ने ग्रामीणों को जबरन थाने ले जाकर डराया-धमकाया और उनके साथ अभद्र व्यवहार किया, जिससे भारी आक्रोश फैल गया। कांग्रेस का कहना है कि यदि किसी की जिम्मेदारी बनती है, तो वह शासन-प्रशासन, कलेक्टर और एसपी की है, जो इस पूरे घटनाक्रम में असफल रहे।
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, यह विवाद 8 दिसंबर 2025 को धौराभाठा में हुई जनसुनवाई से जुड़ा है। JPL कोयला खदान सेक्टर-1 कोल ब्लॉक से प्रभावित 14 गांवों के ग्रामीण 12 दिसंबर से धरने पर बैठे हुए हैं। 27 दिसंबर की सुबह करीब 9 बजे लिबरा चौक पर लगभग 300 ग्रामीण एकत्र हुए और सड़क पर बैठकर आवागमन रोक दिया। स्थिति बिगड़ती देख प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और समझाइश दी।
ग्रामीणों को धरनास्थल के टेंट में वापस भेजा गया, जिससे कुछ समय के लिए माहौल शांत हुआ, लेकिन तनाव बना रहा। कांग्रेस का आरोप है कि इसी तनावपूर्ण स्थिति को प्रशासन ने संभालने के बजाय बल प्रयोग से और भड़का दिया, जो आज तमनार विवाद (Tamnar Fake Jansunwai Case) का बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। कांग्रेस ने मांग की है कि जिंदल को दी गई खदान की अनुमति और जनसुनवाई को तत्काल रद्द किया जाए तथा मुख्यमंत्री नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दें।
