Syphilis: उपदंश योन रोग: रक्त विकार में मंजिष्ठदि क्वाथ के साथ सुबह और शाम सेवन…
syphilis: उपदंश का उपचार
Syphilis: त्रिफला के रस को जल में मिलाकर करने से उपदंश में लाभ होता है। शिश्न और योनि को स्वच्छ रखें। गंधक रसायन 2 ग्राम मात्रा में रक्त विकार में मंजिष्ठदि क्वाथ के साथ सुबह और शाम सेवन करने से रक्तज उपदंश नष्ट होता । उपदंश सूर्यरस 125 ग्राम घी के साथ सेवन करने से जीर्ण उपदंश रोग में बहुत लाभ होता है।
रसौंत और सिरसा की छाल को बारीक पीसकर मधु मिलाकर जननेंद्रिय (Syphilis) पर लेप करने से उपदेश नष्ट होते हैं। नीम की छाल, अर्जुन की छाल, पीपल, कदम्ब, शाल, जामुन, गूलर, बरगद, बेत आदि की छाल बराबर मात्रा में कूट-पीसकर क्वाथ बनाकर जननेंद्रियों को स्वच्छ करके लेप करने से रक्तजन्य उपदंश में बहुत लाभ होता है।
नीम तथा एरण्ड के बीजों को पीसकर हल्का उष्ण लेप करने से उपदंश नष्ट होता है। उपदंश (syphilis) कुठार की एक गोली सुबह और एक गोली शाम को मधु और घी मिलाकर या अदरक के रस से सेवन करने पर बहुत लाभ होता है। इस रस के सेवन के समय अम्लरस, मछली व दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।
हरी बटी की एक गोली सुबह पानी के साथ सेवन करने से उपदंश की तीसरी अवस्था में बहुत लाभ होता है। सरिवाद्यासव 15 मिली. मात्रा में भोजन के बाद समान मात्रा में जल मिलाकर पीने से उपदंश की रक्त विकृति में बहुत लाभ होता है।