Surendra Dubey Death News : शब्दों का वैद्य अब मौन हो गया…डॉ. सुरेंद्र दुबे की हँसी…अब सिर्फ स्मृतियों में गूंजेगी…

रायपुर, 26 जून| Surendra Dubey Death News : हिंदी हास्य और व्यंग्य कविता की दुनिया आज थोड़ी कम रंगीन, कम हंसमुख और कुछ अधिक खामोश हो गई। आयुर्वेदाचार्य और मंचीय कविता के अप्रतिम कलाकार डॉ. सुरेंद्र दुबे का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। लेकिन जाते-जाते वो कविता की बारीकियों, सामाजिक व्यंग्य और शब्दों के हास्य-तंत्र को जीवित छोड़ गए हैं — ठीक वैसे ही जैसे कोई वैद्य दवा देकर चला जाता है, पर राहत बरकरार रहती है।
हास्य के शास्त्री, समाज के डॉक्टर
8 जनवरी 1953 को बेमेतरा (दुर्ग, छत्तीसगढ़) में जन्मे डॉ. दुबे का जीवन दो राहों पर चलता रहा—एक, रोगों की जड़ तक पहुँचने वाला आयुर्वेदाचार्य, दूसरा, समाज की (Surendra Dubey Death News)विडंबनाओं की नस पकड़ने वाला हास्य-शिल्पी। उनकी कविताओं में दर्पण था, व्यंग्य था, पर सबसे ऊपर एक ऐसी संवेदना थी, जो हँसी की परत में भी दर्द समझा देती थी।
मंच नहीं, मंथन था उनका काव्य
डॉ. दुबे की कविताएं महज़ मनोरंजन नहीं थीं। वे मंच पर तालियों की गूंज से कहीं आगे, आत्ममंथन की आवाज थीं। उनके श्रोताओं की हँसी अक्सर खत्म होते-होते सोच में बदल जाती थी—यह उनकी लेखनी की सबसे बड़ी जीत थी।
एक युग का अवसान, लेकिन विचारों की अमरता
उनका जाना सिर्फ एक कवि का जाना नहीं है, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति का मौन हो जाना है, जो जीवन को हल्के में लेकर गंभीर बातें कर सकता (Surendra Dubey Death News)था। वह कला आज दुर्लभ है। उनकी रचनाएं, वीडियो और संस्मरण इस बात का प्रमाण हैं कि हँसी के पीछे भी गहरी दृष्टि होती है, और व्यंग्य भी विचार पैदा कर सकता है।