संपादकीय: घुसपैठ पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

संपादकीय: घुसपैठ पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Supreme Court's decision on infiltration

Supreme Court's decision on infiltration

Supreme Court’s decision on infiltration: भारत में घुसपैठ करने वाले लोगे के खिलाफ केन्द्र सरकार विशेष अभियान चला रही है। भारत में अवैध रूप से डेरा डाले पड़े बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर करने की प्रक्रिया जोर शोर से जारी है। केन्द्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को निर्देशित किया है कि वे एक महीने के भीतर इन घुसपैठियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्यवाही करें।

इस प्रक्रिया के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court’s decision on infiltration) ने शरणार्थियों को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। एक श्रीलंकाई नागरिक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जहां दुनियर भर के लोगों को शरण दी जा सके। भारत में 140 करोड़ की आबादी है। यहां हम अन्य विदेशी नागरिकों को जगह नहीं दे सकते। निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्वागतयोग्य है। हकीकत तो यही है कि पिछले कई दशकों से भारत को एक धर्मशाला बनाकर रख दिया गया है।

जहां कोई भी मुंह उठाकर घुस आता है और यही का होकर रह जाता है। इन घुसपैठियों के लिए भारत में प्रवेश पाना कोई कठिन काम नहीं है। खासतौर पर भारत और बांग्लादेश के बीच जो सीमा है, वहां से बांग्लादेशी और रोहिंग्या बीएसएफ की आंखों में धूल झोकर बंगाल और असम जैसे सीमावर्ती राज्यों में घुसपैठ कर जाते हैं और वहां से भारत के विभिन्न हिस्सों में जाकर बस जाते हैं। भारत में भ्रष्टतंत्र के चलते इन घुसपैठियों के लिए अपना ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड बनवा ही चुटकी बजाने जैसा आसान काम होता है।

पांच से दस रुपए खर्च कर वे ऐसे फर्जी दस्तावेज जुटा लेते हैं। कुछ राजनति पार्टियां इन्हें अपना वोट बैंक बनाने के लिए न सिर्फ झुग्गली झोपडिय़ों में बसा देती है। बल्कि उन्हें आवश्यक मूलभूत सुविधाएं भी सुलभ कराती है। खासतौर पर बंगाल और नई दिल्ली में लाखों की संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये वर्षों से आबाद है, जिनके खिलाफ संबंधित राज्य सरकारें कभी कोई कार्यवाही नहीं करती। अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने नेशनल सिक्योरिटी एक्ट बनाया है। राज्य सरकारों ने भी इसके लिए अलग से कानून बना रखा है। लेकिन इन कानूनों के मुताबिक पहले कभी कोई कार्यवाही नहीं की गई।

एक अनुमान के मुताबिक भारत में अवैध रूप से घुसपैठ करके रहने वालों की संख्या 5 करोड़ से भी ज्यादा हो गई है। जिसमें लगातार इजाफा हो रहा है। बहरहाल देर आए दुरूरस्त आए की तर्ज पर अब केन्द्र सरकार ने इन घुसपैठियों के खिलाफ निणार्यक कार्यवाही की शुरूआत की है। इसके तहत सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करके बस्ती बसाने वाले इन घुसपैठियों के विरूद्ध बुलडोजर की कार्यवाही हो रही है और इनके अवैध कब्जों को नेस्तनाबूत किया जा रहा है। किन्तु ऐसी सभी कार्यवाही भाजपा शासित राज्यों में ही हो रही है।

गैर भाजपा शासित राज्यों में घुसपैठियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। ऐसे में इस बात की संभावना ज्यादा है कि ये घुसपैठिये भाजपा शासित राज्यों से पलायन कर गैर भाजपा शासित राज्यों में अपना नया ठिकाना बना लेंगे। कुल मिलाकर इन घुसपैठियों के खिलाफ कार्यवाही आसान नहीं है।

अव्वल तो लगभग पांच करोड़ अवैध घुसपैठियों की पहचान करना ही आसान नहीं है और फिर कितनी बड़ी संख्या में वर्षों से यहां जमें हुए बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को भारत से बाहर करना भी चुनौतीपूर्ण कार्य सिद्ध होगा। बहरहाल केन्द्र सरकार ने जब इन अवैध घुसपैठियों के खिलाफ अभियान चला ही दिया है तो उसे चाहिए कि वह इस बारे में और कड़े कदम उठाए, जिसके तहत गैर भाजपा शासित राज्यों से भी घुसपैठियों को खदेड़ा जा सके।

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