सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अपने पति की जीवनशैली से ‘गुजारा भत्ता’ की उतनी अपेक्षा न करें; 500 करोड़ की जगह मिले 12 करोड़
-तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला
नई दिल्ली। Supreme Court decision in divorce case: तलाक के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा है कि एक तलाकशुदा पत्नी अपने पति से यह उम्मीद नहीं कर सकती कि उसे इतना गुजारा भत्ता मिलेगा कि वह जीवन भर अपने पति की जीवनशैली के समान जीवन जी सके। मामला एक बिजनेसमैन से जुड़ा है जो अमेरिका में आईटी कंसल्टेंसी सेवाओं के बड़े साम्राज्य का मालिक है।
उन्होंने नवंबर 2020 में अपनी पहली पत्नी को 500 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता दिया और केवल 12 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता दिया। दिया गया था फिर 31 जुलाई 2021 को दोबारा शादी कर ली। हालाँकि यह केवल कुछ महीनों तक ही चला। तलाक मांगते ही इस पत्नी ने भी पहली पत्नी की तरह परमानेंट 500 करोड़ रुपये मांग लिए। हालांकि कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया और सिर्फ 12 करोड़ का गुजारा भत्ता दिया।
लेना बी. वी नागरत्ना और न्या. पंकज मिथल ने कहा कि गुजारा भत्ता (Supreme Court decision in divorce case) को पहली पत्नी से जोडऩा गलत है। पहली पत्नी कई वर्षों तक अपने पति के साथ रही। हालाँकि, इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि दूसरी पत्नी कुछ महीनों से उसके साथ रह रही है। हमेशा देखा जाता है कि पति की संपत्ति, जीवनशैली और आय के अनुपात में भरण-पोषण मांगा जाता है। जब तलाक के बाद पति की आर्थिक स्थिति खऱाब हो जाती है, तो क्या ऐसी माँगें आश्चर्यजनक रूप से गायब हो जाती हैं?
जीवन जीने का अधिकार है
अदालत ने कहा कि स्थापित कानून के तहत, एक पत्नी ऐसी जीवन शैली की हकदार है जिससे उसका पति परिचित हो। हालाँकि पत्नी तलाक के बाद पति के जीवन स्तर के लिए आवश्यक भरण-पोषण की उम्मीद नहीं कर सकती है। पत्नी के लिए समान जीवन जीने की सीमा तक अनिवार्य भरण-पोषण पति के व्यक्तिगत विकास में बाधा उत्पन्न करेगा।