संपादकीय: बड़बोले नेताओं को सुप्रीम कोर्ट की नसीहत

Supreme Court's advice to big-mouthed politicians
Editorial: भारतीय सेना के बारे में ढाई साल पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जो टिप्पणी की थी उसके खिलाफ दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि कोई भी भारतीय ऐसा बयान नहीं दे सकता। यह संभवत: पहली बार हुआ है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने किसी नेता के खिलाफ इतनी कड़ी टिप्पणी की हो जिसमें उसकी भारतीयता पर ही प्रश्र चिन्ह लगा दिया हो?
बहरहाल इससे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को शायद ही कोई फर्क पड़े। वे पहले भी इस तरह के आपत्तिजनक बयान देते रहे हैं और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट उन्हें पहले भी फटकार लगाता रहा है। कई बार तो राहुल गांधी को अपने विवादास्पद बयान के लिए माफी भी मांगनी पड़ी है। ऐसे में उनसे यह उम्मीद नहीं की जा सकती की वे अपने बड़बोलेपन से बाज आएंगे। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने तो ऐसी टिप्पणी करने वाले माननीय न्यायाधीश के खिलाफ भी बयानबाजी शुरू कर दी है। राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने तो यहां तक कह दिया है कि राहुल गांधी की भारतीयता कोई जज तय नहीं कर सकता। उनका कहना है कि राहुल गांधी सेना का बहुत सम्मान करते हैं। किन्तु विपक्ष के नेता होने के नाते सरकार से सवाल करना उनका दायित्व है।
यह ठीक है कि विपक्ष का काम है कि वह सरकार से सवाल करे, लेकिन सेना के बारे में ऐसा आपत्तिजनक बयान किसी को भी नहीं देना चाहिए जिससे सेना का मनोबल गिरता हो। बेहतर तो यह होता कि राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद अपने उस बयान के लिए खेद व्यक्त कर देते। बहरहाल राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने थोड़ी राहत जरूर दी है लेकिन उनके खिलाफ सेना के विरूद्ध आपत्तिजनक बयान देने का मामला चलता रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह सख्त रवैया अन्य बड़बोले नेताओं के लिए भी एक सबक है जो अकसर मीडिया की सुर्खियां पाने के लिए विवादास्पद बयानबाजी करते रहते हैं और बगैर किसी ठोस सबूत के कुछ भी आरोप लगाते रहते हैं। जब सुप्रीम कोर्ट विपक्ष के नेता के खिलाफ इतनी कड़ी टिप्पणी कर सकता है तो अन्य बड़बोले नेताओं पर भी सुप्रीम कोर्ट की गाज गिर सकती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट की इस नसीहत को बयानवीर नेता गंभीरता से लेंगे। और भविष्य में विवादास्प्द बयानबाजी से परहेज करेंगे। खासतौर पर भारतीय सेना के शौर्य पर सवालिया निशान लगाने से पहले सौ बार सोचेंगे।