GP Singh मामले में सुप्रीम कोर्ट की तल्खी, पैसा वसूली पर होना चाहिए जेल |

GP Singh मामले में सुप्रीम कोर्ट की तल्खी, पैसा वसूली पर होना चाहिए जेल

Supreme Court squabbles in GP Singh case, should be jailed for money recovery

GP Singh Case

नई दिल्ली/रायपुर/नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ के निलंबित ADG गुरजिंदर पाल सिंह (GP Singh Case) से जुड़े मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस एन.वी.रमण ने कहा कि आप हर मामले में सुरक्षा नहीं ले सकते हैं, क्योंकि आप सरकार के करीबी हैं तो आपने पैसा वसूलना शुरू कर दिया,ऐसे में आपको भुगतान मय ब्याज करना होगा।

दरअसल, सोमवार को निलंबित ADG गुरजिंदर पाल सिंह के मामले में सुनवाई थी। जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने थोड़ी राहत जीपी सिंह को जरूर दी है। जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में दर्ज तीसरी FIR पर भी जीपी सिंह को गिरफ्तारी पर अंतरिम संरक्षण दे दिया यानी चार हफ्ते तक राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनकी गिरफ्तार पर रोक लगाई है। साथ ही कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर 1 अक्तूबर को सारे मामले की सुनवाई की तारीख तय की है।

जीपी सिंह (GP Singh Case) के वकील विकास सिंह ने कोर्ट से कहा कि इस प्रकार के अधिकारियों को सुरक्षा की आवश्यकता है। पिछली सुनवाई में पुलिस अफसरों के सत्ताधारी दलों के साथ गठजोड़ पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई थी। CJI ने कहा था कि देश में ये परेशान करने वाला ट्रेंड है। कोर्ट ने कहा था- ‘पुलिस अफसर सत्ता में मौजूद राजनीतिक पार्टी का फेवर लेते हैं और उनके विरोधियों के खिलाफ कार्यवाही करते हैं। बाद में विरोधी सत्ता में आते हैं तो पुलिस अफसरों पर कार्यवाही करते हैं। इस हालात के लिए पुलिस विभाग को ही जिम्मेदार ठहराना चाहिए। उनको कानून के शासन पर टिके रहना चाहिए. इसे रोकने की जरूरत है।’

निलंबित IPS को रहत देते हुए उन पर तल्ख टिप्पणी भी की है। वकील के बयान पर CJI एन.वी.रमण ने कहा किअगर आप सरकार के करीबी होकर ऐसा करते रहते हैं, तो आपको भुगतान ब्याज के साथ भुगतान करना होगा। उन्होंने कहा कि हम ऐसे अधिकारियों को सुरक्षा क्यों दें, देश में नया ट्रेंड चला है लेकिन उन्हें जेल जाना होगा।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में 1994 बैच के अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह (GP Singh Case) पर जब 1 जुलाई 2021 को छापा मारा गया था, तब उनके पास करोड़ों रुपये की संपत्ति होने का पता लगा था। इसी के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था और सर्वोच्च अदालत ने सख्त रुख अपनाया।

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