सुप्रीम कोर्ट ऑन बुलडोजर एक्शन: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर लगा दी रोक
-हमारे आदेश के बिना कार्य न करें; बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
नई दिल्ली। Supreme Court on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार यह रोक 31 अक्टूबर तक लागू रहेगी। हालाँकि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रतिबंध सड़क, फुटपाथ या रेलवे को अवरुद्ध करके अवैध निर्माण पर लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बुलडोजर कार्रवाई के लिए गाइडलाइन तैयार करेगा।
बिना अनुमति के नहीं चलेगा बुलडोजर- सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने आरोपियों की विध्वंस कार्रवाई के खिलाफ विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा दायर याचिका पर यह निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court on Bulldozer Action) की ओर से कहा गया कि अगली सुनवाई तक हमारी इजाजत से ही कार्रवाई की जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 1 अक्टूबर को होगी।
याचिकाकर्ता जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि बीजेपी शासित राज्यों में मुसलमानों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई और कहा कि अधिकारियों के हाथ इस तरह से नहीं बांधे जा सकते।
एक हफ्ते का स्थगन देने से आसमान नहीं गिर जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
हालांकि बेंच ने यह कहते हुए कोई राहत देने से इनकार कर दिया कि अगर एक हफ्ते के लिए निर्माण रोक दिया जाए तो ‘आसमान नहीं टूट पड़ेगा’। पीठ ने कहा कि ये निर्देश संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए दिये गये हैं। जस्टिस विश्वनाथन ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर अवैध विध्वंस की एक भी घटना होती है तो यह संविधान की भावना के खिलाफ होगा।
बुलडोजर कार्रवाई पर पहले ही आपत्ति जता चुके हैं
कुछ दिन पहले गुजरात में एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court on Bulldozer Action) ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति एसवीएन भाटी की पीठ ने कहा कि किसी आरोपी के घर पर सिर्फ इसलिए बुलडोजर चलाना उचित नहीं है क्योंकि वह किसी मामले में आरोपी है। आरोपी दोषी है या नहीं, यानी उसने अपराध किया है या नहीं, यह तय करना सरकार का नहीं, बल्कि अदालत का काम है।
शासन पर बुलडोजर चलाने जैसा
किसी व्यक्ति के गलत काम की सजा उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करके या उसका घर तोड़कर नहीं दी जा सकती। कोर्ट ऐसी बुलडोजर कार्रवाई को नजरअंदाज नहीं कर सकता। ऐसी कार्रवाई की अनुमति देना कानून के शासन पर बुलडोजर चलाने जैसा होगा। अदालत ने यह भी माना कि अपराध में कथित संलिप्तता किसी भी संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं है।