Supreme Court Judgement : लास्ट सीन थ्योरी साबित नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने हत्या केस में बिलासपुर हाई कोर्ट का फैसला पलटा, आरोपी बरी

Supreme Court Judgement

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बिलासपुर जिले में हुई हत्या के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस जांच और अभियोजन की दलीलों पर गंभीर टिप्पणी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि केवल ‘लास्ट सीन टुगेदर’ के आधार पर किसी आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष (Supreme Court Judgement) की जिम्मेदारी है कि वह ठोस, पुख्ता और स्वतंत्र सबूतों के जरिए अपराध साबित करे। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें हत्या के आरोपित मनोज उर्फ मुन्ना को दोषी ठहराया गया था।

हत्या के इस मामले में हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए सजा दी थी। आरोपित ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर कहा कि वह निर्दोष है और मामला केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। उसका दावा था कि पुलिस और अभियोजन उसके खिलाफ किसी भी प्रकार के प्रत्यक्ष प्रमाण पेश करने में विफल रहे हैं।

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने की। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष का पूरा मामला इस तथ्य पर आधारित था कि छह जून 2004 की शाम आरोपित और सह–आरोपित को मोटरसाइकिल पर मृतक के साथ जाता देखा गया था।

इसके बाद मृतक जीवित नहीं मिला। शव पर गंभीर चोटों और जलाने के निशान मिले। पुलिस ने दावा किया कि हत्या ट्रैक्टर चोरी के विवाद की वजह से हुई, लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय साक्ष्य रिकॉर्ड पर नहीं था।

लास्ट सीन थ्योरी (Supreme Court Judgement) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह केवल एक कमजोर कड़ी है, इसे मजबूत साक्ष्यों से जोड़ना आवश्यक है। केवल अंतिम बार साथ देखे जाने से अपराध सिद्ध नहीं होता, खासकर तब जब अभियोजन घटनाओं की पूरी श्रृंखला साबित नहीं कर पाता। अदालत ने स्पष्ट किया कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 तभी लागू हो सकती है जब अभियोजन पहले अपना दायित्व पूरा कर ले।

न्यायालय ने कन्हैया लाल बनाम राजस्थान राज्य (2014) मामले का हवाला देते हुए कहा कि यदि किसी मुकदमे में संदेह की स्थिति बनती है, तो उसका लाभ आरोपी को दिया जाना चाहिए। यह निर्णय भविष्य में परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित मामलों में न्यायिक दृष्टिकोण और कानूनी मानकों को और स्पष्ट करेगा।

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