Supreme Court Divorce Settlement : 30 लाख के समझौते पर खत्म हुई शादी, सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया फोटो हटाने के दिए निर्देश
Supreme Court Divorce Settlement
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक विवाह को भंग करने का अहम फैसला सुनाया है। पति और पत्नी के बीच 30 लाख रुपये के अंतिम समझौते के आधार पर विवाह विच्छेद को मंजूरी दी गई है।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यह विवाह पूरी तरह से टूट चुका है और ऐसे मामलों में न्यायपूर्ण समाधान के लिए अनुच्छेद 142 का उपयोग आवश्यक है। यह फैसला (Supreme Court Divorce Settlement) के रूप में कानूनी और सामाजिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यह मामला बाबूराम गौतम और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य के रूप में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया था। अपील हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दायर आवेदन को खारिज कर दिया गया था।
मामला महिला थाना, जिला मथुरा में दर्ज केस क्राइम नंबर 177 ऑफ 2023 से जुड़ा था। सुनवाई के दौरान पति और पत्नी ने कोर्ट को बताया कि उनके बीच समझौते की बातचीत चल रही है, जिसके बाद विवाह विच्छेद के लिए संयुक्त आवेदन दायर किया गया।
18 दिसंबर 2025 को सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए। उन्होंने बताया कि 30 लाख रुपये के फुल एंड फाइनल सेटलमेंट पर वे अलग होने के लिए सहमत हैं। पति की ओर से पत्नी के वकील को 15-15 लाख रुपये के दो डिमांड ड्राफ्ट सौंपे गए। कोर्ट ने इस समझौते को स्वीकार करते हुए इसे (Supreme Court Divorce Settlement) के तहत वैध माना।
इस मामले का सबसे अहम और आधुनिक पहलू सोशल मीडिया से जुड़ा निर्देश रहा। कोर्ट ने दोनों पक्षों की अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड करते हुए कहा कि पति और पत्नी सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से एक-दूसरे और उनके परिवार के सदस्यों से संबंधित फोटो और वीडियो हटाएंगे।
साथ ही भविष्य में किसी भी सोशल मीडिया पोर्टल पर एक-दूसरे या परिवार से जुड़ा कोई भी फोटो या वीडियो अपलोड नहीं करेंगे। इस निर्देश को (Supreme Court Divorce Settlement) का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि भारतीय दंड संहिता और हिंदू विवाह अधिनियम के तहत लंबित सभी आपराधिक और दीवानी मामलों को संबंधित अदालतों में इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत किए जाने पर बंद कर दिया जाएगा।
विवाह विच्छेद को लेकर पीठ ने कहा कि विवाह “Irretrievably broken down” हो चुका है, इसलिए अनुच्छेद 142 के तहत शक्ति का प्रयोग किया जा रहा है। इस फैसले को न्यायिक व्यवस्था में (Supreme Court Divorce Settlement) के तहत एक मिसाल माना जा रहा है, जिसमें आपसी सहमति, आर्थिक समझौता और डिजिटल आचरण तीनों को एक साथ जोड़ा गया है।
