संपादकीय: वनों की कटाई पर सुको की तल्ख टिप्पणी

Suko's harsh comment on deforestation
Suko’s harsh comment on deforestation: भारत में वनों की अंधाधून कटाई के कारण जल जंगल और जमीन खतरे में पड़ती जा रही है जिसकी वजह से जलवायु परिवर्तन भी होने लगा है और पर्यावरण संतुलन बिगडऩे लगा है। जिसकी वजह से आने वाले समय में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी देश पर मंडराने लगेगा।
अभी वनों की कटाई के कारण ही कभी भीषण गर्मी तो कभी वर्षा और कभी अल्प वर्षा के रूप में प्राकृतिक आपदाएं सामने आती रहती है जिससे निपटने के लिए सरकार को हर साल हजरा करोड़ रूपये खर्च करने पड़ते हैं।
वनों की अवैध कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है और पेड़ो की कटाई को अवैज्ञानिक दृष्टिकोण का परिचायक बताया है। गौरतलब है कि देश के कई राज्यों में विकास परियोजनाओं के लिए लाखों की संख्या में वृक्षों की अनियंत्रित कटाई की जा रही है जिसका वहां के लोग विरोध करते हैं तो उनके खिलाफ सरकारें कड़ी कार्यवाही करती है। ऐसे मामलों में संबंधित राज्य सरकारें विकास परियोजनाओं को प्राथमिकता देती हैं जबकि जल जंगल और जमीन हमारे सुरक्षा कवच हैं।
यदि इनका अस्तित्व नष्ट हो जाएगा तो देश में पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा और इसका खामियाजा हमारी भावी पीढी को भुगतना पड़ेगा जो इस अपराध के लिए हमें कतई माफ नहीं करेगी। यह ठीक है कि विकास परियोजनाएं भी आवश्यक है किन्तु इसके लिए बड़े पैमाने पर वृक्षों की बली चढ़ाना भी उचित नहीं है। पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए ही विकास की नीति बनाई जानी चाहिए।
बहरहाल यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है और इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है तो यह उम्मीद की जानी चाहिए कि केन्द्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारें विकास परियाजनाओं के नाम पर वनों की अंधाधून कटाई पर रोक लगाने के लिए गंभीरतापूर्वक विचार करेंगी।