एक ही ट्रैक में दो ट्रेन आमने-सामने, रफ्तार 160 किलोमीटर… पढ़े- फिर क्या हुआ
-‘कवच’ का परीक्षण हुआ सफल
- रेलवे के लिए आज का दिन बेहद अहम रहा
- विदेशों में इस तकनीक की कीमत 2 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर है
- रेलवे ने इसे 50 लाख रुपये की लागत से विकसित किया
नई दिल्ली। भारतीय रेल के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा। रेलवे ने आर्मर टेक्नोलॉजी विकसित कर ली है। आज तकनीक का परीक्षण (Bharat Ka Kavach) किया गया। जिसमें सफलता हासिल हुई है। इसके लिए दो ट्रेनें 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से एक-दूसरे की ओर आ रही थीं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ट्रेन के इंजन में थे। ये ट्रेनें एक-दूसरे से महज 380 मीटर की दूरी पर आकर रुक गईं।
आर्मर एक ऐसी तकनीक है जो दो ट्रेनों को कभी आपस में नहीं टकराने देती है। यह दुनिया का सबसे सस्ता सिस्टम है। रेलवे शून्य दुर्घटना लक्ष्य हासिल करना चाहता है। इस कवच का उद्देश्य आकस्मिक क्षति को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस तकनीक के कारण अगर डिजिटल सिस्टम में रेड सिग्नल या कोई अन्य खराबी या मानवीय त्रुटि नजर आती है तो ट्रेन मौके पर ही रुक जाती है। एक बार यह सिस्टम लागू हो जाने के बाद इस पर 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा। दुनिया भर में इसकी कीमत करीब 2 करोड़ रुपये है।
जब कोई ट्रेन ऐसे सिग्नल से गुजरती है जहां उसे जाने की अनुमति नहीं है, तो यह एक खतरे का संकेत भेजता है। यदि लोको पायलट ट्रेन को रोकने में विफल रहता है, तो ट्रेन के ब्रेक ‘कवच’ तकनीक द्वारा स्वचालित रूप से लगाए जाते हैं और ट्रेन किसी भी दुर्घटना से बच जाती है।
अधिकारी ने कहा कि प्रौद्योगिकी उच्च आवृत्ति वाले रेडियो संचार पर काम करती है। इसके अलावा, यह एसआईएल -4 (सिस्टम इंटीग्रिटी लेवल -4) के साथ संगत है, जो सुरक्षा तकनीक का उच्चतम स्तर है, रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा। इस शील्ड सिस्टम की घोषणा इसी साल के बजट में की गई थी।