Student Tracking Mission : स्कूलों में दाखिला लेने वाले हर बच्चे की होगी ट्रैकिंग

Student Tracking Mission

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स्कूलों में पढ़ रहे किसी भी बच्चे के लिए अब बारहवीं से पहले पढ़ाई छोड़ना आसान नहीं होगा। शिक्षा मंत्रालय ने ऐसे बच्चों को ट्रैक करने और उन्हें स्कूलों से जोड़ने के लिए (Student Tracking Mission) के तहत मिशन मोड में जल्द ही एक बड़ी मुहिम शुरू करने की तैयारी कर ली है।

फिलहाल इसकी शुरुआत दसवीं व बारहवीं में हर साल फेल होने वाले लाखों बच्चों को ट्रैक कर उन्हें किसी न किसी माध्यम से फिर से स्कूली शिक्षा से जोड़ने से होगी। (Student Tracking Mission) के तहत इन बच्चों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान (एनआइओएस) या राज्यों के मुक्त विद्यालयों के जरिए पढ़ाई पूरी कराने की योजना है। वर्ष 2024 में देश भर में दसवीं व बारहवीं की परीक्षा में 50 लाख से अधिक बच्चे फेल हुए थे।

शिक्षा मंत्रालय की इस योजना के तहत फेल होने वाले या पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्रों की सूची एनआइओएस या राज्यों के मुक्त विद्यालयों के साथ साझा की जाएगी। (Student Tracking Mission) के जरिए ये संस्थान सीधे इन बच्चों से संपर्क करेंगे और उन्हें फिर से पढ़ाई शुरू करने के लिए प्रेरित करेंगे।

इतना ही नहीं, यदि कोई बच्चा खराब आर्थिक स्थिति के चलते आगे की पढ़ाई करने में असमर्थता जताता है, तो (Student Tracking Mission) के अंतर्गत समग्र शिक्षा अभियान के जरिए राज्यों को उनकी फीस चुकाने और निशुल्क किताबें व अन्य शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।

इसके साथ ही मंत्रालय प्रत्येक ब्लाक में संचालित मौजूदा पीएम-श्री स्कूलों के परिसर में एनआइओएस का एक केंद्र खोलने की योजना पर भी काम कर रहा है, ताकि स्थानीय स्तर पर ही ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें दाखिला दिया जा सके।

(Student Tracking Mission) की यह पहल ऐसे समय शुरू की गई है, जब दसवीं और बारहवीं में फेल होने के बाद बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ाई पूरी तरह छोड़ दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इसके पीछे एक बड़ा कारण आर्थिक परेशानियां भी हैं, क्योंकि कई परिवार नई फीस और किताबों का इंतजाम नहीं कर पाते।

यही वजह है कि ऐसे बच्चों की फीस चुकाने और पढ़ाई से जोड़ने जैसी व्यवस्थाओं पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। इसके अलावा कई बच्चे उचित काउंसलिंग न मिलने के कारण भी पढ़ाई छोड़ देते हैं।

नई व्यवस्था में (Student Tracking Mission) के तहत हर ऐसे बच्चे तक पहुंचने की योजना बनाई गई है। गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में दसवीं तक पढ़ाई करने वाले बच्चों का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 78 प्रतिशत है, जबकि बारहवीं तक यह घटकर 58 प्रतिशत रह जाता है।