संपादकीय: झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही जरूरी

संपादकीय: झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही जरूरी

Strict action necessary against quacks

Strict action necessary against quacks

Strict action necessary against quacks: छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल मरवाही क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही के चलते दो छात्रों की मौत हो गई। निश्चित रूप से यह दुखद घटना है। और इसके लिए जिम्मेदार उन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।

जो जन स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ करते रहे हैं। छत्तीसगढ़ में डॉक्टर रमन सिंह की सरकार के दौरान पूरे छत्तीसगढ़ में ऐसे झोलाछाप फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया गया था और उनके क्लीनिक बंद कराए गए थे।

किन्तु इस अभियान के खत्म होते ही एक बार फिर प्रदेश के कोने कोने में झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानदारी शुरू हो गई है। खासतौर पर गांव और कस्बों में इन झोलाछाप डॉक्टरों का ध्ंाधा बेरोक टोक चल रहा है।

कोरोना काल के दौरान भी इन नीम हकीमों ने बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित लोगों को मौत के मुंह में पहुुंचाने का काम किया था। अब जबकि छत्तीसगढ़ में एक बार फिर विष्णुदेव साय की अगुवाई में भाजपा की सरकार बन गई है। तो उसे चाहिए की वह इन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ एक बार फिर प्रदेशव्यापी अभियान चलाए और इन नीम हकीमों की नाक में नकेल कसें ताकि ये लोग भोले भाले लोगों की जान से खिलवाड़ न कर पाएं।

दरअसल शासकीय स्वास्थ्य सुविधाएं गांव कस्बों तक अभी भी नहीं पहुंच पाई है। उसी का फायदा उठाकर ये फर्जी डॉक्टर जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अब इनके खिलाफ जल्द से जल्द अभियान चलाने की आवश्यकता है ताकि मासूम बच्चों को और अन्य मरीजों को असमय ही काल का ग्रास बनने से बचाया जा सके।

उम्मीद की जानी चाहिए की साय सरकार तो बच्चों की मौत के मामले को गंभीरता से लेगी और ऐसे फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित करने अभियान शुरू करेगी।

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