कलेक्टर रेट के नाम पर स्टेशनरी ठेका फिक्स, पिन से लेकर पेंसिल तक एक ही फर्म से पर्चेस

कलेक्टर रेट के नाम पर स्टेशनरी ठेका फिक्स, पिन से लेकर पेंसिल तक एक ही फर्म से पर्चेस

जिला प्रशासन में सालों से एक ही फर्म को स्टेशनरी सप्लाय का दिया टेंडर

नवप्रदेश संवाददाता
रायपुर। कलेक्टर कार्यालय (Collector Office) के सभी विभागों में जरुरी स्टेशनी (Stationery) की खरीदी और इसके ठेके का खेल काफी पुराना है। तकरीबन पांच साल से एक ही फर्म के स्टेशनरी सप्लायर सभी सरकारी विभागों के लिए लेखन सामग्री दे रहा है। खरीदी-बिक्री के इस खेल में सरकारी खजाने से तो पूरा पैसा भुगतान किया जा रहा है, लेकिन सप्लाय की जाने वाली स्टेशनरी की कीमत मार्केट रेट से काफी उंचे दर पर ली जा रही है। इस सप्लाय और टेंडर प्रक्रिया में सालों से पूरा रैकेट काम कर रहा है। जिसमें कलेक्टर कार्यालय में अधीक्षक, एक महिला बाबू और अपर कलेक्टर स्तर की पसंद ही चलती है। बीते पांच साल से इन सभी जिम्मेदारों का एक लोकल स्टेशनरी सप्लायर से हनीमून चल रहा है। इसी की फर्म को जिला कार्यालयों से लेकर अब मंत्रालय तक में स्टेशनरी सप्लाय करने का जिम्मा दिया जा रहा है। करोड़ों की स्टेशनरी सप्लाय करने वाले शंकर नगर स्थित एक दुकानदार ही इस ठेके पर आधिपत्य जमाए हुए है। बल्क में लगने वाली सरकारी फाइल, फाइल क्लॉथ, कागज, कार्बन, पेन, पिन, पेंसिल, रस्सी से लेकर इंक तक की खपत है। कई मामलों में तो लोकल ब्रांड देकर कंपनी ब्रांड का रेट लगा पूरा भुगतान किया जा रहा है। किसी आशु इंटरप्राइजेस नाम का दुकानदार चार अलग अलग फर्म बना सप्लाय का खेल कर रही है।

इनसे 2017-18 में सप्लाई

  • आशीष इंटरप्राईजेस- 65 स्टेशनरी आयट्म बल्क में सप्लाय
  • सृष्टि स्टेशनरी हाउस-38 स्टेशनरी आयटम बड़ी तादात में
  • मेसर्स अनिकेत साहू-48 स्टेशनरी आयट्म सप्लाय की गई
  • मेसर्स गुप्ता कमर्शियल-37 स्टेशनरी सामानों की सप्लाय की

वर्ष 19-20 के लिए भी टेंडर

बता दें कि 2019-20 के लिए स्टेशनरी सप्लाय के लिए कार्यालय कलेक्टर रायपुर ने निविदा जारी किया है। मजे की बात यह कि उक्त निविदा प्रकाशन में भी पूरे नियमों को ताक में रखकर किया गया है। इच्छुक स्टेशनरी सप्लायर को कई तरह के नियम बताकर पहले ही हतोत्साहित कर दिया जाता है। इस काम में कलेक्टर कार्यालय में स्टेशन सप्लाय टेंडर देखने वाला पुराना गिरोह करता है ताकि उनकी चेहती फर्म को ही यह काम मिले। इसलिए छोटे-मोटे दैनिक समाचार पत्रों में ही निविदा देकर नियमों की अनदेखी की जा रही है।

पूर्व कलेक्टर कर चुके है निरस्त

तात्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी को जब स्टेशनरी सप्लाय के खेल की भनक लगी थी तो उन्हों ने टेंडर प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया था। उक्त टेंडर व फर्म की जानकारी के बाद क्रय समिति को भनक लगे बिना ही चेहती फर्म को सप्लाय सौंप दी गई। हाल ही में इसी फर्म ने एक और नई दुकान खरीद कर स्टेशनरी सप्लाय का नया तरीका खोज निकाला है।

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