Special Article : देश-दुनिया में सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान दिलाएगी ’छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद’

Special Article : देश-दुनिया में सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान दिलाएगी ’छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद’

Special Article: 'Chhattisgarh Sanskriti Parishad' will give a new identity to cultural heritage in the country and the world

Special Article

रायपुर/नवप्रदेश। Special Article : छत्तीसगढ़ में कला और संस्कृति के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को एक सशक्त अभिव्यक्ति देने के लिए राज्य में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद का गठन किया गया है। यह परिषद राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, साहित्य, लोक भाषा एवं बोलियाँ, संगीत, नृत्य-नाटक, रंगमंच, चित्र एवं मूर्तिकला, सिनेमा, रंगमंच, आदिवासी एवं लोककलाओं के संरक्षण और संवर्धन, लोकोत्सव आदि के आयोजन के साथ ही विविध विधाओं से संबंधित शीर्षस्थ विद्वानों को सम्मानित और उन्हें प्रोत्साहित करेगी।


देश में अनेक राज्यों का गठन मुख्य रूप से भाषाई आधार पर हुआ है, जबकि छत्तीसगढ़ का गठन यहां की विशिष्ट सांस्कृति के आधार पर हुआ है। मध्यप्रदेश ने देश के सांस्कृतिक पटल पर जो ऊंचाईयों अर्जित की हैं, उसमें छत्तीसगढ़ का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वस्तुतः छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण भी सांस्कृतिक दृष्टि से किया गया है। छत्तीसगढ़ निर्माण के लम्बे अरसे के बाद भी राज्य की सांस्कृतिक विविधताओं और गौरवशाली  परम्पराओं को सहेजने और संरक्षित करने की दिशा में अपेक्षित कार्य नहीं हो सका। राज्य में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की परम्पराओं, संस्कृति और लोककला को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है।

छत्तीसगढ संस्कृति परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री और संस्कृति मंत्री इसके उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। परिषद के काम-काज की विशिष्टता को देखते हुए राज्य में कला संस्कृति में गहरी रुचि रखने वाले तथा अपनी कला के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखने वाले लोगों को परिषद में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। यह परिषद राज्य की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को देश-दुनिया में नई पहचान दिलाने के लिए काम करेगी। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी, बख्शी सृजन पीठ, चक्रधर कथक केन्द्र, नाचा केन्द्र, छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम जैसी इकाईयां काम कर रही हैं, इन इकाईयों की विभिन्न गतिविधियों को समन्वित ढ़ंग से संचालित करने में परिषद की केन्द्रीय भूमिका होगी।

छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक बहुलता वाला प्रदेश है। सात राज्यों से घिरे होने के कारण सीमावर्ती राज्यों की संस्कृतियों का संगम देखने को यहां देखने को मिलता है। इसके साथ ही राज्य में लगभग एक तिहाई आबादी जनजातियों की है। राज्य का बस्तर अंचल देश-विदेश में आदिवासी कला-संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। राज्य सरकार द्वारा आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव को राज्योत्सव के साथ ही मनाने का निर्णय लिया गया है। इस महोत्सव में न केवल देश के विभिन्न राज्यों के आदिवासी नर्तक दल शामिल होते हैं, बल्कि विदेशी कलाकार भी इस आयोजन में शामिल होते हैं। इससे राज्य को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान मिली है।

छत्तीसगढ़ में कला और संस्कृति के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को एक सशक्त अभिव्यक्ति देने के लिए राज्य में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद का गठन किया गया है

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ के तीज-त्यौहार को बढ़ावा देने के फलस्वरूप (Special Article) लोगों में आत्म गौरव और अभिमान की अनुभूति जागृत हुई। छत्तीसगढ़ी खान-पान को बढ़ावा देने के लिए हर जिले में गढ़कलेवा शुरू किए गए। गढ़कलेवा में आधुनिक और परम्परागत ढ़ंग से आकर्षक साज-सज्जा में रुचिपूर्ण छत्तीसगढ़ी व्यंजन तैयार किए जाते हैं। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के तीज-त्यौहारों को मुख्यमंत्री निवास में मनाने की परम्परा की शुरुआत हुई। राज्य में तीजा, हरेली, छठ, विश्व आदिवासी दिवस, कर्मा जयंती और छेरछेरा पुन्नी- शाकम्भरी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया।

नवगठित छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद की कई महती जिम्मेदारियां हैं। इनमें सांस्कृतिक विरासतों की पहचान एवं उनका संरक्षण, संवर्धन और विकास, सृजनशील संस्कृति के लिए मंचों, कला संग्रहालयों एवं वीथिकाओं का विकास, राज्य में राष्ट्रीय स्तर के मंचों की स्थापना और आयोजन के लिए पहल करना शामिल है। इसके साथ ही आदिवासी एवं लोककलाओं और साहित्य के अन्तर्सम्बंधों की पहचान और विस्तार, विभिन्न सांस्कृतिक कलाओं एवं साहित्य रूपों के स्वतंत्र और मिले-जुले कार्यक्रम का आयोजन, विभिन्न सांस्कृतिक संस्थाओं, समूहों को सहयोग और प्रोत्साहन शामिल है।

यह परिषद उल्लेखनीय सृजनात्मक उपलब्धियों के लिए सृजनकर्मियों को सम्मान एवं प्रोत्साहन, उत्कृष्ट सिनेमा के निर्माण एवं प्रचार संबंधी गतिविधियाँ, राज्य के और देशभर के विश्वविद्यालयों और दूसरी सांस्कृतिक व शिक्षण संस्थाओं जैसे- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इण्डिया, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, विभिन्न क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र आदि से जीवंत संबंध स्थापित करने और उनकी गतिविधियों से संबद्ध होने की जिम्मेदारी भी निभाएगी।

इसके अलावा (Special Article) साहित्यिक, सामाजिक व अन्य सामयिक विषयों पर सृजन व शोध कार्यों में सहयोग, समाज में सांस्कृतिक गतिविधियों यथा- रचनात्मकता, सृजनशीलता, अधिमूल्यन और समालोचना को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने के साथ ही संस्कृतिकर्मियों व संस्थाओं को विभिन्न विधाओं के लिए दी जाने वाली फैलोशिप, पुरस्कारों व सम्मान के संयोजन के लिए काम करेगा। छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के सुविधाजनक कामकाज के लिए विभिन्न प्रभागों साहित्य अकादमी, कला अकादमी, आदिवासी एवं लोक कला अकादमी, छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग और छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी की स्थापना की गई है।

लेखक : जी.एस. केशरवानी, सहायक संचालक

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