अनमोल धरोहर “चंदैनी गोंदा सांस्कृतिक यात्रा”का स्पीकर और मुख्यमंत्री ने किया विमोचन
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Chandaini Gonda
Chandaini Gonda : राजगामी सम्पदा न्यास द्वारा प्रकाशित
रायपुर/नवप्रदेश। Chandaini Gonda : छत्तीसगढ़ में साहित्यिक और सांस्कृतिक जागरण के लिए गठित संस्था “चंदैनी गोंदा”पर केन्द्रित किताब का विमोचन विधानसभा अध्यक्ष डॉ.चरण दास महंत, मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने किया। राजगामी संपदा न्यास द्वारा प्रकाशित इस ऐतिहासिक किताब को उन्होंने अनमोल धरोहर की संज्ञा दी।साथ ही छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति के संरक्षण और नयी पीढ़ी के ज्ञान के लिय महत्वपूर्ण कहा।
1971 में गठित (Chandaini Gonda) “चंदैनी गोंदा की सांस्कृतिक यात्रा” का श्रमसाध्य सम्पादन डा. सुरेश देशमुख ने किया। पांच सौ पृष्ठों में सजी इस किताब में छत्तीसगढ़ी संस्कृति के पुरोधा, चंदैनी गोंदा के संस्थापक स्व. रामचंद्र देशमुख की श्रमसाधना भी समाहित है।
विमोचन कार्यक्रम में राजगामी सम्पदा न्यास के अध्यक्ष विवेक वासनिक,सदस्य मिहिर झा,रमेश खंडेलवाल, गोवर्धन देशमुख के योगदान की सराहना कर विशिष्ट जनों ने बधाई दी। छत्तीसगढ़ी हिंदी रंगमंच के वरिष्ठ रंगकर्मी विजय मिश्रा “अमित”ने विमोचन कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी दी।
विमोचन स्थल (Chandaini Gonda) में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे,पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू, वनमंत्री मो. अकबर, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल,शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम, लोकनिर्माण मंत्री गुरु रूद्र कुमार, पूर्व मंत्री वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा, सहित अनेक विधायकगण एवं अन्य प्रतिनिधियों ने किताब को पंचायतों , स्कूल, महाविद्यालयों तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा चंदैनी गोंदा ने छत्तीसगढ़ीयों के भीतर आत्मविश्वास को जगाया है। कार्यक्रम में न्यास के अध्यक्ष वासनिक सहित सदस्यों ने आभार व्यक्त किया।
सांस्कृतिक क्रांति का शंखनाद है “चंदैनी गोंदा”
डा. सुरेश देशमुख ने पुस्तक के संबंध में बताया कि छत्तीसगढ़ में दाऊ रामचन्द्र देशमुख ने सांस्कृतिक क्रांति का शंखनाद कर राज्य निर्माण के लिए वातावरण निर्मित किया था। पुस्तक में नई पीढ़ी को दाऊ रामचंद्र देशमुख के व्यक्तित्व को समग्र रूप से परिचित कराएगी।चंदैनी गोंदा छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक यात्रा स्मारिका का प्रकाशन 7 दिसंबर सन 1976 को हुआ था। यह प्रकाशन चंदैनी गोंदा के 25वें प्रदर्शन के अवसर पर हुआ था।
इसके संपादक धमतरी के साहित्यकारद्वय नारायण लाल परमार और त्रिभुवन पांडे थे। स्मारिका के प्रकाशन के 45 वर्षों के उपरांत द्वितीय संस्करण को संशोधित और परिवर्धित रूप में प्रकाशित किया गया है। डॉ. सुरेश देशमुख ने रामचन्द्र देशमुख की जीवनी को 488 पृष्ठों के में समाहित किया है।
पुस्तक में देहाती कला विकास मण्डल से लेकर चंदैनी गोंदा की निर्माण प्रक्रिया तक के बारे में लिखा गया है। रामचन्द्र से जुड़े कलाकारों और साहित्यकारों का भी जिक्र पुस्तक में किया गया है।