Soumya Tandon personal life : IIT से इश्क़, IIM से शादी तक… ‘उल्फत’ के पीछे खड़ा वो शख़्स जो रहमान डकैत से भी आगे निकला

Soumya Tandon personal life

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पर्दे पर मोहब्बत जब दिल को छू जाए, तो दर्शकों की जिज्ञासा अक्सर रियल लाइफ तक पहुंच जाती है। हाल ही में फिल्म धुरंधर में ‘उल्फत’ के किरदार ने कुछ ऐसा ही असर छोड़ा। रहमान डकैत और उल्फत की केमिस्ट्री ने कहानी को भावनात्मक (Soumya Tandon personal life) गहराई दी, और इसी के साथ दर्शकों की नजरें टिक गईं उस चेहरे पर, जिसने इस किरदार को जीया—सौम्या टंडन।

जहां पर्दे पर उल्फत का प्यार चर्चा में रहा, वहीं असल ज़िंदगी में सौम्या का रिश्ता उससे कहीं ज़्यादा मजबूत और सुकून भरा है। बहुत कम लोग जानते हैं कि कैमरों की चमक से दूर, उनके जीवन का सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम कौन है।

कौन हैं सौम्या टंडन के पति?

सौम्या के जीवन साथी सौरभ देवेंद्र सिंह किसी फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं आते। वे एक बिज़नेस एग्जीक्यूटिव और एंटरप्रेन्योर हैं, जिनकी पढ़ाई और सोच दोनों ही बेहद सॉलिड (Soumya Tandon personal life) रही है। IIT दिल्ली से पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात सौम्या से हुई – एक ऐसा संयोग, जिसने आगे चलकर पूरी ज़िंदगी की दिशा तय कर दी।

दिलचस्प बात यह है कि इस मुलाकात की वजह कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि दोस्ती का एक साधारण सा कनेक्शन था। सौरभ का रूममेट, सौम्या की करीबी दोस्त को डेट कर रहा था, और वहीं से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ।

IIM, दूरी और इम्तिहान

प्यार आसान नहीं था। सौरभ जब IIM अहमदाबाद पहुंचे, तब दोनों अलग-अलग शहरों में थे। इसी दौरान सौम्या की मां की तबीयत खराब हुई, और सौरभ सब कुछ छोड़कर दिल्ली लौट आए। यही वो पल था, जिसने सौम्या के परिवार का भरोसा भी जीत लिया।

पहली डेट पर बहस हुई, मतभेद भी रहे, लेकिन सौम्या के पिता का एक वाक्य रिश्ते की नींव बन गया—“वक़्त के साथ इंसान निखरता है।”

शादी, मां बनना और बराबरी की साझेदारी

करीब दस साल तक एक-दूसरे को समझने के बाद, 2016 में दोनों ने बेहद निजी समारोह में शादी (Soumya Tandon personal life) की। 2019 में बेटे मिरान के जन्म के बाद, उनकी ज़िंदगी का फोकस और भी साफ हो गया।

सौम्या कई इंटरव्यूज़ में कह चुकी हैं कि उनके घर में ‘वर्क और पैरेंटिंग’ की ज़िम्मेदारी बराबरी से बंटी है। कभी सौरभ घर संभालते हैं, तो कभी सौम्या। वीकेंड पर बेटे की ज़िम्मेदारी उठाने से लेकर करियर के फैसलों तक—सौरभ हर मोड़ पर उनके साथ खड़े रहे।

पर्दे से परे असली कहानी

‘उल्फत’ और रहमान डकैत की कहानी ने भले ही पर्दे पर तालियां बटोरी हों, लेकिन असल ज़िंदगी में सौम्या टंडन की कहानी कहीं ज़्यादा सधी हुई, शांत और भरोसे से भरी है। यहां न ड्रामा है, न दिखावा—बस दो लोगों का साथ, जो IIT की क्लासरूम से शुरू होकर एक मजबूत परिवार तक पहुंचा। यही वजह है कि सौम्या आज भी कहती हैं – सफलता कैमरे के सामने नहीं, कैमरे के पीछे खड़े उस इंसान से मिलती है, जो हर हाल में आपका हाथ थामे रहे।

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