Son Became Judge : मोटर रिपेयरिंग का काम करने वाले का बेटा बना जज, स्टेट में लगी 5 वीं रैंक
जालोर, नवप्रदेश। कहते हैं ना प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। यह एक गांव के बेटे ने साबित कर दिया। उसने मेहनत से माता-पिता के साथ ही गांव का नाम रोशन किया है।
जी हां हम बात कर रहे हैं जालोर जिले के भीनमाल निकट दासपा गांव की। यहां के रहने वाले निवासी रवींद्र सुथार ने गुजरात ज्यूडिशियल सर्विस परीक्षा में 5 वीं रैंक प्राप्त (Son Became Judge) की।
21 अक्टूबर को आए परिणाम में सुथार का चयन होने पर परिवार और गांव में खुशी की लहर छा गई। मूलत: पाली के तखतगढ़ निवासी व कई वर्षों से दासपां में निवासरत बाबूलाल सुथार मोटर रिपेयरिंग का कार्य कर रवींद्र कुमार को पढ़ाई करवाई थी।
रवींद्र ने 2018 के दौरान निरमा युनिवर्सिटी से स्नातक बीकॉम व एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद गुजरात हाईकोर्ट में वकालत का कार्य शुरू कर दिया. जिसके बाद वकालत के साथ-साथ गुजरात न्यायिक सेवा की तैयारी शुरू (Son Became Judge) की।
इस वर्ष आयोजित हुई परीक्षा के दौरान पहले ही प्रयास में सुथार का गुजरात राज्य में 5 वीं रैंक से चयन हो गया। बाबूलाल सुथार के तीन बेटे हैं, एक बेटी है। सबसे बड़ा बेटा नरेंद्र सुथार सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।
विक्रम सुथार गृह मंत्रालय में नौकरी कर रहा व रवींद्र का अब जज के पद पर चयन हो गया. वहीं एक बहन तारा निजी कंपनी में कार्यरत (Son Became Judge) है।
रविंद्र का कहना है कि उन्हें प्रेरित करने और हर तरह से समर्थन देने में माता-पिता बड़ा योगदान रहा है। जिसकी बदौलत में आज इस मुकाम पर पहुंच सका हूं।
उन्होंने क्षेत्र के युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि सपने हमेशा बड़े देखो, जितना बड़ा सपना देखोगे उतनी ही ज्यादा मेहनत करना होगी। यदि दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ मेहनत करेंगे तो निश्चित ही सफलता भी प्राप्त होगी।
रवींद्र के पिता बाबूलाल बताते है कि वे स्वयं मिस्त्री है लेकिन बच्चों को पढ़ाने का जुनून था खुद अभावों में रहे लेकिन बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान की। रविंद्र बचपन से ही पढ़ने में प्रतिभाशाली था।
उनके पिता का सपना था कि उनका बेटा एक जज बने और जैसे ही गुजरात न्यायिक सेवा का परिणाम आया और रवींद्र का गुजरात राज्य में 5 वीं रैंक से चयन हो गया. जिसके बाद से उनके परिवार, गांव व समाज में जश्न का माहौल है।
जानकारी मुताबिक जालोर जिले में सुथार समाज से रविंद्र सुथार पहले जज बनते हुए समाज का नाम रोशन किया। सुथार के पिता एक सामान्य मिस्त्री होने के कारण गांव में मोटर रिपेयरिंग का कार्य करते हुए परिवार चलाने के साथ-साथ बच्चों को पढ़ाई करवाई.
रविंद्र सुथार ने प्राथमिक शिक्षा दासपा में ली और उच्च शिक्षा के लिए जयपुर में भाइयों के साथ पढ़कर बीकॉम एलएलबी की पढ़ाई निरमा यूनिवर्सिटी अहमदाबाद से पूरी की।
इस सफलता से क्षेत्र के युवाओं को भी प्रेरणा मिलेगी कि यदि दृढ़ संकल्प के साथ पूरी लगन से पढ़ाई की जाए तो इस तरह से एक छोटी जगह से भी निकल कर व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है।