Smart TV Price Hike : जनवरी से स्मार्ट टीवी होंगे महंगे, नए साल में खरीदारी से पहले जान लें कीमत बढ़ने की वजह

Smart TV Price Hike

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नए साल की शुरुआत के साथ ही आम उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। अगर आप जनवरी से पहले नया स्मार्ट टीवी (Smart TV Price Hike) खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। वर्ष 2026 की शुरुआत से स्मार्ट टीवी और एलईडी टीवी की कीमतों में बढ़ोतरी होने जा रही है। उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जनवरी महीने में टीवी की कीमतों में 3 से 4 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है।

जानकारी के अनुसार, टीवी महंगे (Smart TV Price Hike) होने की सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में मेमोरी चिप्स की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कमजोरी है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इन दोनों कारणों का सीधा असर इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री पर पड़ रहा है, जिसका असर अब उपभोक्ताओं तक पहुंचने वाला है।

यदि इसे आसान भाषा में समझें तो वर्तमान में जिस स्मार्ट टीवी की कीमत 10,000 रुपये है, वह जनवरी के बाद बढ़कर लगभग 10,300 से 10,400 रुपये तक हो सकती है। हालांकि अंतिम कीमत तय करने का अधिकार कंपनियों के पास होगा और अलग-अलग ब्रांड्स में यह बढ़ोतरी अलग-अलग हो सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि गिरते रुपये का सबसे ज्यादा असर टीवी इंडस्ट्री पर पड़ता है, क्योंकि एलईडी टीवी में घरेलू स्तर पर वैल्यू एडिशन केवल 30 प्रतिशत तक ही होता है। शेष 70 प्रतिशत कंपोनेंट्स विदेशों से आयात किए जाते हैं। इनमें सेमीकंडक्टर, ओपन सेल पैनल, मदरबोर्ड और अन्य इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स शामिल हैं।

इसके अलावा वैश्विक स्तर पर जारी चिप संकट ने भी उत्पादन लागत को बढ़ा दिया है। कंपनियों को कच्चा माल महंगे दामों पर खरीदना पड़ रहा है, जिसका बोझ अंततः ग्राहकों पर डाला जा रहा है।

हालांकि राहत की बात यह है कि विशेषज्ञों का मानना है कि कीमतें बढ़ने के बावजूद स्मार्ट टीवी की मांग में कोई बड़ी गिरावट देखने को नहीं मिलेगी। नए साल की सेल, बैंक ऑफर्स और डिस्काउंट स्कीम्स के जरिए ग्राहक कुछ हद तक बढ़ी हुई कीमतों से राहत पा सकते हैं।

गौरतलब है कि भारत सरकार पहले ही 32 इंच और उससे बड़े टीवी (Smart TV Price Hike) पर जीएसटी की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर चुकी है, जिससे उपभोक्ताओं को पहले राहत मिली थी। लेकिन अब लागत बढ़ने के कारण कंपनियां कीमतें बढ़ाने को मजबूर हो रही हैं।