संपादकीय: भाजपा संगठन में बड़े फेरबदल के संकेत
Editorial: Signs of major reshuffle in BJP organization : लोकसभा चुनाव में भले ही एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार बन गई है लेकिन इस बार भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत का जादुई आंकड़ा छु पाने में विफल रही है। उसे सबसे बड़ा झटका देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में लगा है। जहां भाजपा ने 70 से ज्यादा सीटें हासिल करने का लक्ष्य रखा था लेकिन वह इसकी आधी सीटें भी नहीं जीत पाई।
लोकसभा सीटों के लिहाज से दूसरे सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में भी भाजपा (major reshuffle in BJP organization ) को करारा झटका लगा है। इसके बाद से भाजपा संगठन में बड़े फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। अब उन्हें पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया है। उनके स्थान पर नए अध्यक्ष की तलाश की जा रही है। इसी के साथ ही जिन राज्यों में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। वहां भी नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने की कवायद की जा रही है।
उत्तरप्रदेश के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी की विदाई तय मानी जा रही है। उनके नेतृत्व में भाजपा को उत्तरप्रदेश में गहरी निराशा हाथ लगी है। भूपेन्द्र चौधरी के बारे में कहा जाता है कि वे ग्राम प्रधान का चुनाव लडऩे के लायक भी नहीं है लेकिन न जाने क्यों उन्हें उत्तरप्रदेश भाजपा की कमान सौंप दी गई थी। वे अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में बुरी तरह विफल रहे। उन्होंने संगठन को मजबूती देने की जगह अपने गुट को मजबूत बनाने के काम को प्राथमिकता दी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समकक्ष अपना प्रभाव बनाने का प्रयास किया।
नतीजतन उत्तरप्रदेश में भाजपा (major reshuffle in BJP organization ) संगठन गुटबाजी का शिकार होकर कमजोर पड़ गया। भाजपा में अन्य दलों से आए नेताओं को महत्व दिया गया। जिसकी वजह से भाजपा के लिए समर्पित निष्ठावान कार्यकर्ताओं में असंतोष फैल गया। उनकी नाराजगी को दूर करके उन्हें मनाने की कोई कोशिश उत्तरप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष ने नहीं की। यही वजह है कि उत्तप्रदेश में भाजपा को शिकस्त का सामना करना पड़ा। यहां तक कि अयोध्या से भी भाजपा प्रत्याशी को पराजय का कड़वा घुट पीना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के प्रति कहीं कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं थी।
उत्तरप्रदेश में तो भाजपा की हार की मुख्य वजह संगठन की ही कमजोरी थी। अब इस कमजोरी को दूर करने के लिए वहां संगठन में बड़ा बदलाव किया जाना तय है। इसी तरह महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में जहां भाजपा उम्मीद के खिलाफ कमजोर प्रदर्शन किया है। वहां भी संगठन में बदलाव जरूरी है। दरअसल अमित शाह के कार्यकाल में भाजपा का संगठन पूरे देश में जितना मजबूत था वह जेपी नड्डा के कार्यकाल में नहीं रहा। यही वजह है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं कर पाई ।
तीन माह बाद ही महाराष्ट्र, नई दिल्ली, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसके पहले भाजपा संगठन को मजबूती देने की जरूरत भाजपा कार्यकर्ता शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। देखना होगा कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व इसके लिए क्या कवायद करता है और इस बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में किसे भाजपा की बागडोर सौंपी जाती है।