संपादकीय: लोकलुभावन घोषणाओं की बौछार

संपादकीय: लोकलुभावन घोषणाओं की बौछार

Shower of harsh announcements

Shower of harsh announcements

Shower of harsh announcements: नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जीत हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी ने घोषणाओं का पिटारा खोल रखा है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अब मंदिरों के पुजारियों और गुरूद्वारों के ग्रंथियों के लिए भी प्रतिमाह अठारह हजार रूपये वेतन देने की घोषणा कर दी है।

गौरतलब है कि जब 2013 में नई दिल्ली में पहली बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तब अरविंद केजरीवाल ने मस्जिदों के मौलवियों के लिए अठारह हजार रूपये महीना वेतन देने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही मंदिरों के पुजारियों ने भी केजरीवाल सरकार से वेतन देने की मांग करना शुरू कर दिया था।

किन्तु उनकी इस मांग पर आम आदमी पार्टी की सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन अब विधानसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए आम आदमी पार्टी ने पुजारियों के साथ ही ग्रंथियों के लिए भी यह लोकलुभावन घोषणा कर दी है कि उन्हें भी मौलवियों की तरह ही हर माह अठारह हजार रूपये दिये जाएंगे।

यह बात अलग है कि नई दिल्ली के मौलवियों को पिछले ढेड़ साल से वेतन नहीं दिया जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर वहां के मौलवी आंदोलित हैं। मौलवी शोयेब जमई ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार मौलवियों का वेतन रोककर उनके साथ भेदभाव कर रही है जब उनके पास मौलवियों को देने के लिए पैसा ही नहीं है

तो इस तरह की घोषणा क्यों की गई थी। उन्होंने तो अरविंद केजरीवाल के निवास का घेराव करने की भी चेतावनी दी है। इधर भाजपा और कांग्रेस ने भी आम आदमी पार्टी द्वारा घोषणाओं की झडी लगाने पर तिखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि यह अरविंद केजरीवाल का चुनावी स्टंट है।

यदि पुजारियों और ग्रंथियों की उन्हें इतनी ही चिंता है तो उन्होंने पहले उनके लिए वेतन देने की घोषणा क्यों नहीं की थी। इसी तरह कांग्रेस ने भी इस घोषणा को लेकर आम आमदी पार्टी पर निशाना साधा है।

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