Short Story : फूल उठी रोटी…
Short Story : प्रदीप भोले की पत्नी रोटियां बनाती हुई कहीं कहीं से जली हुई रोटियों को अपनी बेटी को दे रही थी, और जो रोटियां सही ढंग से पकी थी, जली नहीं थी उसे अपने पति को दे रही थी। मासूम बिटिया ने इस बात को ताड़ लिया।
वो पूछ पड़ी- मम्मी जीअच्छे (Short Story) से पक्की और कहीं से भी नहीं जली हुई रोटियां आप पापा जी को दे रही हैं और जगह जगह से जली रोटियां मुझे दे रही हैं ऐसा क्यों?
बेटी के सवाल के जवाब में मम्मी बोली- देख बेटी,समाज में बेटियों को रोज जली कटी बातें सुनने को मिलती हैं। ऐसी जली कटी बातों को सुनने की शक्ति जिनमें होती है, वे अपनी रोटी के जले हिस्से को नोचकर फेक देते हैं, और खाने लायक शेष रोटी से अपना पेट भर लेते हैं। इसीलिए तुझे जली कटी रोटियां दे रही हूं।
जली रोटियों के बहाने मां का यह संदेश बिटिया के दिल में घर कर गया था। वह तत्काल अपनी थाली में रखी हुई रोटियों के जले हुए हिस्से को नोच नोच कर फेंकते हुए बोली- मां तुम तनिक भी चिंता मत करना।स्वस्थ समाज के बीच घुसे ऐसे कलमुंहे लोगों को नोच नोच कर फेकने के लिए मैं हमेशा तत्पर रहूंगी।
इस पर (Short Story) प्रदीप भोले ने बिटिया की पीठ थपथपाते पत्नी से कहा- बेटी की थाली में अब जली रोटी डालने की जरूरत नहीं है। प्रदीप भोले संग बेटी की बातें सुनकर गर्म तवे पर पकती हुई रोटी भी गर्व से फूल उठी थी।