बड़ी खबर: एनसीपी चीफ पवार ने माना, मेरे भी घर में भी नक्सली…
पुलिस ने अनेक लेखक, विचारकों व सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था
मुंबई/नवप्रदेश। एनसीपी चीफ शरद पवार (sharad pawar on naxalism) ने चौंकाने वाला बयान दिया (statement) है। उन्होंने कहा कि किसी के घर में नक्सली साहित्य या नक्सलियों से जुड़ी किताबें मिल जाने से वह व्यक्ति नक्सली नहीं हो जाता।
उन्होंने कहा कि (statement) मेरे घर में ऐसे (नक्सलियों से जुड़ी) किताबें (book on naxalism) हैं। शरद पवार शनविार को पुणे में हुई यल्गार परिषद को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। वे महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान हुए विभिन्ना सामाजिक संघर्षोंं को लेकर बोल रहे थे।
BREAKING: एनसीपी, सेना व कांग्रेस का ‘बहुमत’ साबित, पवार-‘पुत्र’ मिलाप भी
उन्होंंने (sharad pawar on naxalism) बताया कि भाजपा सरकार ने इन संघर्षों के दौरान कैसी गलत भूमिका अख्तियार की थी। उन्होंने कहा कि विद्रोही विचारों की कविताएं पढऩा या घर में नक्सल साहित्य (book on naxalism पढऩा) गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता। मेरे भी घर में नक्सलियों से संबंधित साहित्य है। हम भी जानकारी प्राप्त करते रहते हैं।
अध्ययनशील व्यक्ति के पास ऐसी किताबेें होती ही हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसे लोग नक्सली हैं। उन्होंने (sharad pawar on naxalism) कहा कि पुणे की यल्गार परिषद पर सामाजिक सौहार्द बिगाडऩे का ठपका लगाते हुए पुलिस ने अनेक लेखक, विचारकों व सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इनमें से कुछ आज भी न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।
पत्रकार-क्या अजित व शरद पवार ने कोई चाल चली, फडणवीस-अजित पवार ही…
ऐसे समझें पूरा मामला
एक नजवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरगांव में में हिंसा भड़की थी। इससे एक दिन पहले यहां यल्गार परिषद का आयोजन किया गया था। पुलिस का तब मानना था कि इसी रैली में हिंसा भड़काने का षड्यंत्र रचा गया।
भीमा कारेगांव पेशवाओं के नेतृत्व वाले मराठा साम्राज्य और ईस्ट इंडिया कंपनी केे बीच हुए युद्ध के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि ईस्ट इंडिया कंपनी की महार रेजीमेंट ने मराठा सेना को इसमें हरा दिया था। तब से यह जगह मराठाओं पर दलितों की जीत के स्मारक के रूप में स्थापित हो गई। यहां दलित समुदाय द्वारा हर साल उत्सव मनाया जाने लगा।
Sharad Pawar Plan: भाजपा को दूसरा झटका देने ‘चाणक्य’ ने बनाया ये धांसू प्लान
31 दिसंबर 2017 को जब इस युद्ध की 200वीं वर्षगांठ थी तब इसको लेकर एक रैली आयोजित की गई थी, इसका नाम यल्गार परिषद दिया गया था। इसमें कई दलित नेता शामिल हुए थे। दूसरे दिन उत्सव मनाया गया तो यहां जबर्दस्त हिंसा भड़क उठी थी।
इस मामले में पुलिस ने यल्गार परिषद से जुड़े पांच लोगों- सुधीर धवले, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजाल्विस को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने अदालत में बताया था कि ये पांचों लोग नक्सल संगठन से जुड़े हैं। पुलिस का यह भी कहना था कि इनके घर से नक्सल साहित्य बरामद हुआ है और यल्गार परिषद का आयोजन भी नक्सलियों से मिले चंदे से ही किया गया था।