शनि वक्री 2024: ‘इन’ छह राशियों को अगले 4 महीने तक मिलेंगे शुभ और अशुभ फल!
-29 जून से 15 नवंबर तक छह राशियों के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा समय
-जानिए शनि के वक्री होने से क्या होंगे बदलाव?
Shani Vakri 2024: शनि गृह हर साल की तरह इस साल भी वक्री होंगे। साथ ही इस साल कुछ शुभ और अशुभ मंगल घटनाए भी हो सकती है। 29 जून को शनि वक्री होंगे और 15 नवंबर को मार्गी होंगे। यह अवधि चार माह की होगी। 3 अक्टूबर को शनि महाराज वक्री अवस्था में शततारका नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।
शनि महाराज (Shani Vakri 2024) कोई साधारण ग्रह नहीं हैं। महान प्रभाव वाले ग्रह वे ग्रह होते हैं जो सामान्यत: वृत्त में उच्च एवं प्रतिष्ठित होते हैं। उनकी जरा सी भी हलचल हम पर असर डालती है। नक्षत्र परिवर्तन, राशि परिवर्तन, शनि के वक्री भ्रमण से शनि की स्थिति में अनेक परिवर्तन होते थे। आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि शनि की वक्री यात्रा कैसी रहेगी।
भ्रमण:
अन्य ग्रहों के वक्री होने और शनि के वक्री होने में बड़ा अंतर होता है। अन्य ग्रह भले ही वक्री हों, उनके फल उतने प्रबल न हों, लेकिन शनि महाराज के फलों को वहां बहुत अधिक गर्मी मिलती है। इनका फल अत्यंत निश्चित होता है। शनि महाराज ही प्रत्येक लग्न और राशि पर अलग-अलग प्रभाव देते हैं। यहां हम सामान्य भविष्यवाणी करने जा रहे हैं कि शनि महाराज कैसे और क्या फल देंगे।
वर्गीकरण :
दरअसल हर राशि और लग्न का अस्तित्व शनि महाराज (Shani Vakri 2024) के प्रभाव के बिना नहीं है। कौन सी राशि शुभ है और कौन सी अशुभ, इसका वर्गीकरण करने का कोई मतलब नहीं है। सभी को शुभ और अशुभ दोनों फल मिलेंगे। यहां यह देखने के बजाय कि कौन सी राशि शुभ है और कौन सी अशुभ है, आइए देखें कि शनि महाराज फल का स्वरूप कैसा रहने वाला हैं।
फल का स्वरूप:
शनि महाराज के वक्री होने का मतलब है कि पहले से ही धीमी चाल में अब और देरी होगी। जिस फल की आप आशा कर रहे हैं उसमें विलंब होगा, लेकिन उसे प्राप्त करने में संघर्ष करना पड़ेगा। आर्थिक लेन-देन होंगे तो रुकेंगे या मिलेंगे लेकिन आपके मन मुताबिक नहीं। आपकी अपेक्षा से कम। यदि शनि लाभ भाव से युक्त हो तो उसे पाने के लिए अनेक प्रयास करने पड़ते हैं।
जिस स्थान पर दृष्टि होगी वहां फल भी गिर जाएगा। नीचे गिरने का मतलब अशुभ फल नहीं है, बल्कि फल की गुणवत्ता और गुणवत्ता के साथ-साथ उससे मिलने वाला आनंद भी सुखद नहीं होगा। परिश्रम से प्राप्त सफलता भाग्योदय जैसी प्रतीत होगी। यह एक क्षण में गायब हो जाएगा।
यह जिस ग्रह पर अपनी दृष्टि डालेगा उसे धूमिल कर देगा। फिलहाल इसकी दृष्टि वक्री अवस्था में मंगल ग्रह पर है। मंगल के फल मिलने में उथल-पुथल रहेगी। निराशा उत्पन्न होगी। बुद्धि एवं विवेक से कार्य करना कम हो जायेगा। ऐसा लगेगा मानो रास्ता भटक गया हो। ऐसे में यदि मूल कुंडली अच्छी है तो बात पूरी होगी अन्यथा अवसाद घेर लेगा। जिन लोगों पर साढ़ेसाती है, उनके लिए यह प्रतिगामी काल शनि महाराज का पीतल उजागर करने का जाल है। आपको अपने व्यवहार से अपने अलगाव का एहसास होगा।
धनु-मकर-कुंभ-मेष-मीन-सिंह-कर्क राशि में अशुभ फलों की ओर झुकाव रहेगा। यदि आपकी दशा नहीं है और शनि महाराज आपकी जन्म कुंडली में अच्छी स्थिति में हैं तो आपको अधिक परेशानी महसूस नहीं होगी। आपको पता भी नहीं चलेगा कि पिछला समय कब आया और कब चला गया। अन्य राशियों के लिए समय मध्यम रहेगा। कन्या-कर्क-मीन लग्न वाले जातक थोड़ा परेशानी वाले होते हैं।