Session Commotion : माननीयों के निलंबन पर संग्राम…
Session Commotion : संसद का शीतकालीन सत्र इस बार भी हंगामों की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। पहले दिन तीनों कृषि कानून लोकसभा और राज्यसभा में रद्द कर दिए गए इस दौरान विपक्ष ने इन रद्द किए गए कृषि कानूनों पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हगांमा किया। नतीजतन दोनों सदनों की कार्रवाही बाधित हुई। इस बीच पिछले संसद सत्र के दौरान जिन एक दर्जन माननीयों ने राज्यसभा में संसदीय मर्यादाओं को तार-तार किया था।
उनके खिलाफ सभापति ने इस पूरे सत्र के दौरान निलंबन की कार्रवाही कर दी। इन माननीयों में आधा दर्जन राज्यसभा सदस्य कांग्रेस के और बाकी टीएमसी, शिवसेना और वामपंथी है। पिछले 11 अगस्त को संसद के आखरी दिन राज्यसभा में इन सांसदों ने जमकर हंगामा किया था। कागजात फाड़कर आसंदी उछाले थे और मार्शलों के साथ हाथापाई की थी। जिसकी जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी और उस कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद सभापति ने इन दर्जन भर सांसदों को इस शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया है।
माननीयों के निलंबन के कार्रवाई को लेकर अब संग्राम (Session Commotion) छिड़ गया है। विपक्ष का कहना है कि निलंबन की यह कार्रवाई अनुचित है। जबकि सभापति का कहना है कि वे इस तरह की कार्रवाई का अधिकार प्राप्त है। इस मुद्दे को लेकर आज राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकाअर्जुन खडग़े ने अपनी बात रखी और इस निलंबित सांसदों को अपना पक्ष रखने का अवसर देने की बात कही। लेकिन सभापति वेकैंया नायडू ने उनकी मांग को ठूकरा दिया बल्कि कड़ी फटकार भी लगाई और कहा कि लोकतंत्र की हत्या की गई थी। इसलिए इन सांसदों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई उचित है।
इसके बाद फिर संसद में हंगामा (Session Commotion) हुआ औैर विपक्ष ने संसद परिसर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एकत्रित होकर नारेबाजी की। विपक्ष का कहना है कि निलंबित सांसद हरगिज माफी नहीं मांगेगे। गौरतलब है कि यदि निलंबित सांसद माफी मांग लेते तो शायद उनके निलंबन को रद्द कर दिया जाता। लेकिन विपक्ष ने टकराव का रास्ता चुना है जिससे स्पष्ट है कि अब विपक्ष राज्यसभा सदस्यों के निलंबन को लेकर संसद में सरकार के खिलाफ अपना मोर्चा जारी रखेगा और ऐसी स्थिति में संसद का शीतकालीन सत्र भी हगांमों की भेंट चढ़कर रह जाएगा।