संपादकीय: आतिशी के सामने चुनौतियों का सिलसिला

संपादकीय: आतिशी के सामने चुनौतियों का सिलसिला

Series of challenges in front of Atishi

challenges in front of Atishi

Challenges in front of Atishi: नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह अब आतिशी नई दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बन गई हैं। जिन्होंने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है।

नई दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी के सामने चुनौतियों का लंबा सिलसिला है। जिसका सामना करते हुए नई दिल्ली की जनता की उम्मीदों को पूरा करना उनके लिए आसान नहीं होगा।

आतिशी (Challenges in front of Atishi) को जन अपेक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरने के लिए सिर्फ छह माह का समय मिला है। इस अल्प अवधि में उन्हें दिल्ली के लोगों की समस्याओं का निराकरण करने के साथ ही छह माह बाद होने वाले नई दिल्ली के विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए लोक लुभावन घोषणाओं को धरातल पर उतारना होगा।

इसमें कोई दो मत नहीं की आतिशी एक तेज तर्रार महिला नेत्री हैं और इस समय नई दिल्ली सरकार की सभी महत्वपूर्ण मंत्रालय वे ही संभाल रही हैं।

वे पहली बार की विधायक हैं। इसके बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंत्री बनाया था और यही नहीं बल्कि तात्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के शराब घोटाले में जेल जाने के बाद उनके सभी महत्वपूर्ण मंत्रालय भी आतिशी के हवाले कर दिए गए थे।

इसी से स्पष्ट है कि अरविंद केजरीवाल को आतिशी की कार्यक्षमता पर कितना ज्यादा भरोसा है। वैसे भी आतिशी अरविंद केजरीवाल के निर्देशों से सरकार चलाएंगी।

आतिशी (Challenges in front of Atishi) की नई कैबिनेट भी अरविंद केजरीवाल ही बनवाएंगे दूसरे शब्दों में कहा जाए तो भले ही आतिशी मुख्यमंत्री बन गई हैं लेकिन नई दिल्ली की सरकार अरविंद केजरीवाल के इशारे पर ही चलेगी।

इसके बावजूद आतिशी को मुख्यमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में कदम -कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

आम आदमी पार्टी के नेताओं और खुद पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व में दिए गए बयानों पर गौर करें तो यह साफ हो जाता है कि नई दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और एलजी के बीच शुरू से ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है।

अरविंद केजरीवाल लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं कि केन्द्र सरकार के इशारे पर एलजी उनकी सरकार को काम नहीं करने दे रहे हैं। जब अरविंद केजरीवाल जैसे तेज तर्रार और अनुभवी नेता को मुख्यमंत्री के रूप में काम करने में दिक्कत हो रही थी और एलजी के साथ टकराव की स्थिति बनी ही रहती थी तो ऐसी हालत में आतिशी को अपनी सरकार के निर्णयों को क्रियान्वित करने में निश्चित रूप से दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

नई दिल्ली विधानसभा चुनाव को मद्देनजर रख कर आम आदमी पार्टी की सरकार फ्री रेवड़ी कल्चर को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगी। मुफ्त बिजली और पानी के अलावा महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा कराने जैसी योजनाओं के कारण ही आम आदमी पार्टी को नई दिल्ली में दो बार प्रचंड़ बहुमत मिला है।

इसलिए फ्री वाले इस फार्मूले को आम आदमी पार्टी और व्यापक रूप में लागू करने का प्रयास कर सकती है। ऐसे में नई मुख्यमंत्री आतिशी और एलजी के बीच टकराव बढऩा स्वाभाविक है। बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि आतिशी इन चुनौतियों का कैसे सामना करती हैं और इसमें कितनी सफल होती हंै।

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