Seasonal Illness : मलेरिया, डेंगू समेत मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए प्रयास तेज

Seasonal Illness : मलेरिया, डेंगू समेत मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए प्रयास तेज

Seasonal Illness,

राजनांदगांव, नवप्रदेश। बारिश आने के साथ ही डेंगू, मलेरिया सहित कई मौसमी बीमारियां तेजी (Seasonal Illness) से बढ़ती हैं, इनसे निपटने के लिए जिले में तैयारी तेज कर दी गई है। स्वास्थ्य विभाग के साथ ही संबंधित अन्य विभागों में भी व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है।

खासतौर पर वनांचल क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए गठित दल को अलर्ट मोड पर रखा गया है। जनसमुदाय, आदिवासी समुदाय वाले क्षेत्र, सीमावर्ती क्षेत्रए मलेरिया, डेंगू हेतु अतिसंवेदनशील (Seasonal Illness) क्षेत्र, प्रवासी, गर्भवती तथा 5 साल से कम उम्र के बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए विभिन्न जागरुकता गतिविधि की जा रही है।

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. मिथिलेश चौधरी ने बतायाः डेंगू, मलेरिया सहित अन्य मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए जारी प्रयासों के साथ स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विविध जनजागरुकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। इस दौरान जिला स्तर पर विशेष स्वास्थ्य दल गठित कर संवेदनशील क्षेत्रों में डोर-टू-डोर सर्वे (Seasonal Illness) किया जा रहा है।

अस्पतालों में भी स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि तेज बुखार, बदन दर्द, सिरदर्द, उल्टी, शरीर पर दाने, नाक से खून आना या उल्टी में खून आना जैसी कोई भी शिकायत होने पर तुरंत निकट के स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवाएं, ताकि शीघ्र बेहतर उपचार किया जा सके। साथ ही हमेशा मच्छरदानी लगाकर सोने की आदत डालें। मच्छर न पनप सके, इसलिए घर के आसपास साफ-सफाई रखें।

वहीं इस बारे में मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की जिला सलाहकार संगीता पांडेय ने बतायाः कलेक्टर डोमन सिंह के निर्देशन व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश चौधरी के मार्गदर्शन में डेंगू, मलेरिया की रोकथाम के लिए जिले में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

मौसमी रोगों से बचाव हेतु सालभर प्रत्येक बुधवार को ग्रामीण व गुरुवार को शहरी क्षेत्र में ड्राई डे मनाया जाता है जिसमें सोर्स रिडक्शन गतिविधियां की जाती हैं। जनजागरुकता के लिए गांवों में कार्यशाला का भी आयोजन किया जा रहा है। वहीं बारिश के मौसम में डेंगू, मलेरिया की रोकथाम के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए गांवों में स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए जा रहे हैं।

संवेदनशील गांवों में डेंगू, मलेरियारोधी दवा का छिड़काव किया जा रहा है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता-मितानिन द्वारा गृहभेंट के दौरान समुदाय में वितरित मच्छरदानी के रखरखाव, साफ सफाई एवं उपयोग से संबंधित जानकारी समुदाय को दी जा रही है।

साथ ही मच्छरदानी का उपयोग करने की अपील के साथ प्रतिदिन शाम को मितानिन अथवा गांव के प्रमुख व्यक्ति द्वारा नगाड़ा, सीटी और घंटी बजवाकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है।

यहां ज्यादा पनपते हैं मच्छर

डेंगू के मच्छर एडीज के अंडे कूलर के खस की शीट में चिपके रहते हैं और नमी मिलते ही जीवित हो जाते हैं। घर के आंगन एवं छतों में रखे टूटे-फूटे मटके, टॉयर ट्यूब व प्लास्टिक की बॉटल में ऐसे मच्छर ज्यादा पनपते हैं, इसलिए पानी जमा नहीं होने देना चाहिए।

इस आशय का प्रचार-प्रसार करने के लिए शहरी क्षेत्र में फागिंग, घर-घर सर्वे व लार्वा नियंत्रण संबंधी विभिन्न कार्यवाही की जा रही है। इसमें घरों के आसपास साफ सफाई, मच्छरों की उत्पत्ति के कारकों जैसे-कूलर, छत की खुली पानी की टंकियों की सफाई, फटे,-पुराने टायर-ट्यूब की सफाईए टूटे-फूटे मटके की सफाई, बाल्टी, टीन एवं प्लास्टिक के डिब्बे की सफाई, घर के सजावटी गमलों में जमा पानी, मनी प्लांट के पॉट में जमा पानी, फ्रीज के नीचे ट्रे की सफाई को प्रमुखता से शामिल किया गया है।

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