संपादकीय: नीतीश कुमार के नाम पर मुहर

संपादकीय: नीतीश कुमार के नाम पर मुहर

Seal in the name of Nitish Kumar

Seal in the name of Nitish Kumar

Seal in the name of Nitish Kumar: अगले साल होने जा रहे है बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने इस बार भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है। बिहार में भाजपा की संपन्न एक बैठक में नीतीश कुमार के नाम पर सहमति की मुहर लगा दी है। बिहार प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के मुताबिक आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू के गठबंधन को बहुमत मिलता है तो नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे।

जाहिर है भाजपा नेतृत्व नीतीश कुमार पर ही भरोसा जता रहा है। पिछले दो दशकों से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर आसीन है। यह भी दिलचस्प पहलू है कि जदयू ने कभी भी स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं किया लेकिन नीतीश कुमार ही भाजपा के सहयोग से तो कभी राष्ट्रीय जनता दल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनते रहे। बिहार का मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने पाला बदलने में भी कभी देर नहीं की। इसके चलते दलबदलू कहा जाने लगा लेकिन इससे भी उनकी राजनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

अब नीतीश कुमार अपनी राजनीति की आखिरी पारी खेल रहे हैं। बढ़ती उम्र उनके आड़े आ रही है। लेकिन भाजपा ने एक बार फिर उन पर ही भरेासा जताया है। नीतीश कुमार बिहार के निर्विवाद नेता रहे हैं। आज तक उनपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा है। बिहार में सुशासन बाबू के नाम से भी जाना जाता है। बिहार के विकास के लिए उन्होंने कई ठोस कदम उठाये हैं। और बिहार में शराब बंदी लागू कर उन्होंने अपनी करनी और कथनी के अंतर को भी मिटाया है।

नीतीश कुमार की सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी विशिष्ट पहचान रही है। इसी के चलते आईएनडीआईए गठबंधन ने नीतीश कुमार को एनडीए के खिलाफ नया गठबंधन तैयार करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी और उन्होंने अपनी इस जिम्मेदारी को कुशलता से निभाया आज जो आईएनडीआईए गठबंधन बना है। वह नीतीश कुमार के भागीरथ प्रयास से ही अस्तित्व में आया है।

यह बात अलग है कि इस गठबंधन के संयोजक न बनाये जाने से नाराज होकर नीतीश कुमार ने आईएनडीआईए से नाता तोड़ लिया था और वे फिर एनडीए में चले गये। नीतीश कुमार ने यह भी घोषणा कर रखी है कि अब वे हमेशा के लिए एनडीए का हिस्सा बन गये हैं। बहरहाल नीतीश कुमार पर भरोसा दिखाकर भाजपा ने भी यह साबित कर दिया है कि वह अपने सहयोगी दलों को पूरा सम्मान देती है।

नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू के गठबंधन को कितनी सफलता मिलेगी यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन उनका यह गठबंधन मजबूत नजर आ रहा है। क्योंकि इसमें चिराग पासवान, जितन राम मांझी और कुसवाहा की पार्टी शामिल हैं। इन सभी दलों ने पिछले लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है।

इसलिए बिहार विधानसभा चुनाव में भी यह गठबंधन राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के गठबंधन के सामने निश्चित रूप से कड़ी चुनौती पेश करेगा। यह बता अलग है कि नीतीश कुमार के नाम पर सहमति की मुहर लगने पर राष्ट्रीय जनता दल बौखला गया है।

राजद के नेता इस पर तंज कस रहे हैं और यह दावा कर रहे हैं कि इस बार नीतीश फीनिस होने जा रहे हैं। इसकी वजह यही है कि राष्ट्रीय जनतादल को यह उम्मीद थी कि विधानसभा चुनाव के पूर्व नीतीश कुमार फिर एक बार पलटी मार सकते हैं और राष्ट्रीय जनता दल के साथ हाथ मिला सकते हैं। किन्तु अब उनकी उम्मीद टूट गई है इसलिए वे नीतीश कुमार पर निशाना साध कर खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।

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