संपादकीय: त्यौहारी सीजन में मिलावट का गोरखधंधा
Scam of adulteration in festive season: वैसे तो खाने पीने की चीजों में मिलावट होती ही रहती है। लेकिन त्यौहारी सीजन में मिलावटखोरी का गोरख धंधा ज्यादा ही बढ़ जाता है।
खासतौर पर मिठाइयों में नकली खोवा और नकली दूध से बनी मिठाइयां बेरोकटोक बिकती हंै। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का अमला अपनी कुंभकरणीय नींद से त्यौहारों के दौरान ही कुछ समय के लिए जागता है
और कुछ प्रतिष्ठानों से मिठाइयां दूध तथा खोवा आदि बरामद कर उसे जांच के लिए भेज कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है। बाजार में मिठाइयों की मांग बढऩे से मिलावटखोरी की आशंका भी बढ़ जाती है।
ना सिर्फ मिलावटी मिठाई धड़ल्ले से बेची जाती है बल्कि पुरानी मिठाइयों को भी नया रूप देकर उसे आकर्षक पैकिंग के साथ खपा दिया जाता है। जिसके सेवन से लोग बीमार भी पड़ जाते हैं।
यह जनस्वास्थ्य के साथ खुला खिलवाड़ है। लेकिन इस गोरखधंधे को रोकने के लिए प्रभावी पहल नहीं की जा रही है। मिलावटखोरों के खिलाफ कड़े कानून बनाने की लंबे समय से मांग की जा रही है।
लेकिन ऐसी मांग नक्कार खाने में तूती की आवाज बनकर रह गई है। मौजूदा कानूनों के मुताबिक मिलावटखोरों को छह माह सजा और दस हजार रुपए जुर्माने का ही प्रावधान है और उसमें भी अधिकांश मिलावटखोर संबंधित विभाग की मिलीभगत से अपने खिलाफ ऐसा कमजोर केस बनवाते हंै कि वे जुर्माना भरकर ही छूट जाते हैं।
कभी किसी मिलावटखोर को सजा नहीं हो पाती। यही वजह है कि मिलावट का कारोबार बेखौफ चल रहा है। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जरूर मिलावटखोरी के गोरखधंधे पर लगाम लगाने के लिए कारगर कदम उठाया है।
जिसके तहत कड़ी सजा के साथ ही एक लाख रुपए तक का जुर्माना करने का प्रावधान किया गया है। अन्य राज्य सरकारों को चाहिए कि वे अपने अपने राज्यों में उत्तरप्रदेश की तरह ही कड़े कदम उठाए।
बेहतर तो यह होगी की केन्द्र सरकार मिलावटखोरी रोकने कड़े कानून बनाए। दुनिया के कई देशों में तो मिलावटखोरों के लिए सजा-ए मौत का प्रावधान किया गया है।
भारत में कम से कम मिलावटखोरों के लिए आजीवन कारावास का और अधिकतम दस लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान तो होना ही चाहिए। जब तक केन्द्र सरकार ऐसे कड़े कदम नहीं उठाएगी। तब तक मिलावटखोरी का यह खेल बेखौफ चलता ही रहेगा।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अमले की भी जिम्मेदारी तय करनी जरूरी है। क्योंकि उनकी मिलीभगत से ही खाद्य और पेय पदार्थों में मिलावट का यह गोरख धंधा परवान चढ़ रहा है। इस विभाग के अधिकारियों के लिए भी कार्यवाही का प्रावधान होना चाहिए।
तभी वे सक्रिय होंगे और मिलावटखोरों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि जनस्वास्थ्य के साथ खुला खिलवाड़ करने वाले मानवता के इन दुश्मनों के विरूद्ध सरकार जल्द कारगर कदम उठाएगी।