Russia Recognizes Taliban Government : दुनिया में पहली बार…रूस ने तालिबान सरकार को दी औपचारिक मान्यता…बदला भू-राजनीतिक समीकरण…

नई दिल्ली, 4 जुलाई। Russia Recognizes Taliban Government : रूस ने तालिबान शासन को दी दुनिया में पहली बार मान्यता, बदलते वैश्विक परिदृश्य में यह एक बड़ा कूटनीतिक फैसला माना जा रहा है। मॉस्को ने तालिबान को आतंकवादियों की सूची से हटा दिया है, साथ ही अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से राजनयिक मान्यता-पत्र स्वीकार कर लिया है।
जहां दुनिया के अधिकांश देश तालिबान को उनके कठोर इस्लामी शासन और महिलाओं पर प्रतिबंधों की वजह से अब तक मान्यता देने से हिचक रहे थे, वहीं रूस ने इस कूटनीतिक जोखिम को उठाया है।
तालिबान का स्वागत, कहा – “दूसरे देशों के लिए बनेगा उदाहरण”
अफगान विदेश मंत्रालय ने रूस के इस कदम को “ऐतिहासिक” (Russia Recognizes Taliban Government)बताया और तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा कि यह दूसरे देशों को भी प्रेरित करेगा।
रूस का मकसद – अफगान स्थिरता में भागीदारी
रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह निर्णय “उत्पादक द्विपक्षीय सहयोग” को बढ़ावा देने की मंशा से लिया गया है। रूस ने अप्रैल 2025 में ही तालिबान से प्रतिबंध हटा लिए थे। अब यह मान्यता पूरी राजनयिक स्वीकृति का संकेत है।
पुतिन की रणनीति: सर्गेई लावरोव की सलाह पर उठाया कदम
रूस के राजदूत दिमित्री झिर्नोव ने कहा कि यह फैसला राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की सलाह पर लिया, जो अफगानिस्तान के साथ पूर्ण राजनयिक संबंधों की दिशा में एक “ईमानदार कोशिश” है।
महिलाओं पर पाबंदियों के कारण अलग-थलग रहा तालिबान
2021 में सत्ता में आने के बाद से तालिबान ने महिलाओं पर कठोर प्रतिबंध लगाए:
छठी कक्षा के बाद की पढ़ाई पर रोक
नौकरी और सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश प्रतिबंध
शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्रता सीमित
यही वजह थी कि अब तक किसी देश ने उन्हें औपचारिक मान्यता नहीं दी थी।
रूस की चाल: रणनीतिक निवेश या जोखिम?
रूस के इस कदम को कुछ विश्लेषक भू-राजनीतिक संतुलन में हस्तक्षेप के तौर पर देख रहे हैं। पश्चिमी देशों से दूर होते हुए रूस अब उन देशों से संबंध मजबूत कर रहा है, जिन्हें अमेरिका और यूरोपीय देश नजरअंदाज कर रहे हैं।
क्या अब दूसरे देश भी करेंगे तालिबान को मान्यता?
रूस के इस कदम के बाद चीन, ईरान और मध्य एशियाई देशों से भी ऐसी ही पहल की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं कि अमेरिका या यूरोपीय संघ इस रुख का समर्थन करेंगे या नहीं।