Rudraksha Benefits : सावन 2025 में क्यों जरूरी है रुद्राक्ष…? शिवभक्तों के लिए बना दिव्य कवच…जानिए रहस्य और लाभ…

नई दिल्ली, 4 जुलाई। Rudraksha Benefits : सावन का पावन महीना शिव की आराधना का सबसे उत्तम समय माना जाता है। इस माह में एक छोटा-सा मनका—रुद्राक्ष—आपके जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल सकता है। यह केवल एक धार्मिक आभूषण नहीं, बल्कि भगवान शिव के आंसुओं से जन्मा हुआ जीवित ऊर्जा केंद्र है, जो साधक को आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक सभी स्तरों पर सुरक्षा प्रदान करता है।
रुद्राक्ष क्या है और क्यों है इतना चमत्कारी?
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान शिव ने विश्व के कष्टों को देखकर आंसू बहाए, उन्हीं से रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ। इसी कारण इसे शिव का स्वरूप माना गया (Rudraksha Benefits)है। यह सीधे उनके आशीर्वाद का प्रतीक है, जिसे धारण करने से व्यक्ति को शिव की कृपा प्राप्त होती है।
रुद्राक्ष पहनने के नियम: एक साधना, एक शुद्धि
रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसका महामृत्युंजय मंत्र से अभिषेक कराना चाहिए।
शुद्ध और ब्राह्मण से सिद्ध रुद्राक्ष ही पहनें।
गले में पहनने से पहले और बाद में “ॐ नम: शिवाय” का जप अवश्य करें।
माला में विषम संख्या (5, 7, 9, 11…) के दाने होने (Rudraksha Benefits)चाहिए, लेकिन 27 दानों की माला से परहेज़ करें।
रुद्राक्ष को कभी गंदे हाथों से न छुएं और न ही स्नान से पहले धारण करें।
रुद्राक्ष पहनने के लाभ: वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से
मन को शांति और एकाग्रता मिलती है।
स्वास्थ्य संबंधी कष्टों की पूर्व चेतावनी मिलती है।
पापों का क्षय होता है, पुण्य बढ़ते हैं।
धन, वैभव और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती (Rudraksha Benefits)है।
शनि, राहु और केतु जैसे अशुभ ग्रहों के प्रभाव में कमी आती है।
ऊर्जा संतुलन बेहतर होता है और मानसिक तनाव में राहत मिलती है।
कितने प्रकार के होते हैं रुद्राक्ष?
रुद्राक्ष 1 मुखी से लेकर 21 मुखी तक मिलते हैं। हर मुखी का अलग आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व होता है—
1 मुखी: मोक्ष और उच्च ब्रह्म चेतना
5 मुखी: सबसे सामान्य, सभी के लिए उपयुक्त
11 मुखी: सफलता, साहस और विजय का प्रतीक