RTI Privacy Violation : आरटीआइ में निजी जानकारी पर हाई कोर्ट बिलासपुर की अंतरिम ब्रेक…!
RTI Privacy Violation
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के तहत किसी कर्मचारी की निजी जानकारी सार्वजनिक करने पर अंतरिम रोक (RTI Privacy Violation) जारी की है। यह आदेश स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सहित आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों और आरटीआइ आवेदकों के खिलाफ जारी किया गया है। जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने संबंधित अधिकारियों और आवेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
यह विवाद संस्कृत विषय के लेक्चरर लखेश्वर प्रसाद राजवाड़े से जुड़ा है, जो शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय छिंदपुर, विकासखंड कटघोरा, जिला कोरबा में पदस्थ हैं। लखेश्वर प्रसाद ने बीईओ कटघोरा के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उनकी निजी सेवा संबंधी जानकारी आरटीआइ के तहत उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। याचिका अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और अपूर्वा पांडेय की ओर से दायर की गई थी।
हाई कोर्ट के इस आदेश को निजता के अधिकार और आरटीआइ कानून के संतुलन के दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है। जस्टिस साहू ने कहा कि निजी जानकारी सार्वजनिक करना केवल तब ही उचित है, जब यह स्पष्ट जनहित (Public Interest) में हो। अन्यथा यह किसी भी व्यक्ति की निजता (Right to Privacy) का उल्लंघन होगा।
पूरा विवाद
याचिका में बताया गया कि वर्ष 2023 से विभिन्न व्यक्तियों द्वारा बार-बार आरटीआइ के तहत लेक्चरर की सेवा पुस्तिका, शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, अनुभव प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र की जानकारी मांगी जा रही थी। याचिकाकर्ता ने स्पष्ट रूप से इन दस्तावेजों की सार्वजनिक उपलब्धता पर असहमति जताई थी।
इसके बावजूद बीईओ कटघोरा, जो कि लोक सूचना अधिकारी भी हैं, ने प्राचार्य को जानकारी देने के निर्देश जारी कर दिए। इससे स्पष्ट होता है कि आरटीआइ का दुरुपयोग (RTI Misuse) हो रहा था और इसका उद्देश्य केवल निजी स्वार्थ और प्रताड़ना (Harassment) था।
दुरुपयोग का आरोप
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि बार-बार निजी सेवा रिकार्ड की मांग का कोई जनहित नहीं है, बल्कि यह उनके व्यक्तिगत अधिकारों और निजता को नुकसान पहुँचाने की कोशिश है। हाई कोर्ट ने यह माना कि किसी व्यक्ति की निजी जानकारी को उसके स्पष्ट सहमति के बिना साझा करना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
अधिकारियों और आवेदकों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है और अंतरिम रोक आदेश (Interim Stay Order) तब तक लागू रहेगा जब तक अदालत मामले की अंतिम सुनवाई नहीं कर लेती। इस आदेश से स्पष्ट संदेश गया है कि आरटीआइ का इस्तेमाल किसी की निजता (Right to Privacy) या व्यक्तिगत सेवा विवरण को दुरुपयोग करने के लिए नहीं किया जा सकता।
