River Based City Ranking : अब नदियां तय करेंगी शहरों की रैंकिंग, जानिए कैसे
River Based City Ranking
स्वच्छता की परिभाषा अब सिर्फ साफ सड़कें, कूड़ा उठान और चमकते डस्टबिन तक सीमित नहीं रही। स्वच्छ सर्वेक्षण 2025-26 की नई गाइडलाइन ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले समय में शहरों की रैंकिंग सीधे तौर पर नदियों (River Based City Ranking) की सेहत और जल शुद्धि से जुड़ी होगी।
यानी जिस शहर की नदी साफ, बहाव स्वाभाविक और जल गुणवत्ता बेहतर होगी, वही शहर राष्ट्रीय स्तर पर टॉप रैंक की दौड़ में आगे रहेगा। केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा लॉन्च किए गए 10वें स्वच्छ सर्वेक्षण में नदी तटवर्ती शहरों के लिए इस बार कड़े और निर्णायक मानक तय किए गए हैं, जो पूरे शहरी स्वच्छता ढांचे को नई दिशा देंगे।
शनिवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार स्वच्छ सर्वेक्षण 2025-26 एक बार फिर 12,500 अंकों का होगा, लेकिन अंकों के बंटवारे में बड़े बदलाव किए गए हैं।
इस बार सरकार ने नागरिकों की भूमिका को केंद्र में रखते हुए नागरिक फीडबैक (Citizen Feedback) के अंकों को 500 से बढ़ाकर सीधे 1000 कर दिया है। इसका अर्थ है कि शहर की स्वच्छता को अब सिर्फ कागजी रिपोर्ट और निरीक्षण से नहीं, बल्कि आम नागरिकों के अनुभव और राय से भी आंका जाएगा।
सुपर स्वच्छ जोड़ी से बदलेगा मुकाबले का स्वरूप
इस सर्वेक्षण की सबसे अहम नई पहल सुपर स्वच्छ जोड़ी (Super Swachh Jodi) नाम से शुरू की गई श्रेणी है। इसके तहत सुपर स्वच्छ लीग में शामिल बड़े शहरों के साथ उन छोटे शहरों का भी मूल्यांकन किया जाएगा, जिनकी जिम्मेदारी इन बड़े शहरों को सौंपी गई है। उदाहरण के तौर पर इंदौर के साथ देपालपुर को जोड़ा गया है।
दोनों शहरों की स्वच्छता व्यवस्था, प्रबंधन और परिणामों का संयुक्त आकलन होगा। खास बात यह है कि सुपर स्वच्छ लीग में अब पहले, दूसरे या तीसरे स्थान की घोषणा नहीं की जाएगी। इस श्रेणी में बने रहने के लिए शहरों को न्यूनतम 85 प्रतिशत अंक हासिल करना अनिवार्य होगा।
10 चैप्टर, 173 बिंदु: हर पहलू पर पैनी नजर
स्वच्छ सर्वेक्षण 2025-26 में मूल्यांकन का दायरा पहले से कहीं ज्यादा व्यापक किया गया है। कुल 10 चैप्टर और 173 बिंदुओं के आधार पर शहरों का आकलन किया जाएगा। इसमें कचरा सेग्रीगेशन, सालिड वेस्ट मैनेजमेंट, स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच, प्रयुक्त जल प्रबंधन, स्वच्छता जागरूकता अभियान, स्वच्छता कर्मचारियों का कल्याण, नागरिक प्रतिक्रिया और शिकायत निवारण जैसे पहलू शामिल हैं।
इसके अलावा पर्यटन और विरासत स्थलों पर विशेष सफाई व्यवस्था तथा स्कूलों में स्वच्छता व्यवहार को भी मूल्यांकन का हिस्सा बनाया गया है। नए टूल किट में एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) को शामिल कर यह संकेत दे दिया गया है कि स्वच्छता अब पर्यावरणीय संतुलन से अलग नहीं देखी जाएगी।
River Based City Ranking नदियों की सेहत बनेगी रैंकिंग की रीढ़
इस बार सर्वेक्षण की सबसे बड़ी खासियत नदी-बहुल शहरों के लिए तय किए गए सख्त मानक हैं। नर्मदा, शिप्रा, गंगा और अन्य प्रमुख नदियों के तट पर बसे शहरों को विशेष कसौटी पर परखा जाएगा। नदी घाटों की सफाई, आसपास के क्षेत्रों का प्रबंधन और सबसे अहम नदी के पानी की गुणवत्ता को स्वच्छता आकलन के केंद्र में रखा गया है।
इसका सीधा असर यह होगा कि बिना प्रभावी जल शुद्धिकरण और सीवेज ट्रीटमेंट के किसी भी शहर के लिए टॉप रैंक हासिल करना लगभग असंभव हो जाएगा। यही वजह है कि उज्जैन और ओंकारेश्वर जैसे शहरों के लिए यह सर्वेक्षण उनकी स्वच्छता साख की सबसे बड़ी परीक्षा माना जा रहा है, जहां शिप्रा और नर्मदा की स्थिति सीधे रैंकिंग को प्रभावित करेगी।
वाटर प्लस और सर्टिफिकेशन की अहम भूमिका
12,500 अंकों में से 10,500 अंक सीधे स्वच्छता प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं, जबकि शेष 1000 अंक वाटर प्लस (Water Plus) और अन्य सर्टिफिकेशन से जुड़े होंगे। यह स्पष्ट संदेश है कि गंदे नालों और अनुपचारित सीवेज के साथ कोई भी शहर स्वच्छता की दौड़ में आगे नहीं बढ़ सकता। अब शहरी निकायों को ठोस कचरा प्रबंधन के साथ-साथ जल प्रबंधन पर भी बराबर ध्यान देना होगा।
शहरों के लिए चेतावनी और अवसर दोनों
स्वच्छ सर्वेक्षण 2025-26 की गाइडलाइन (River Based City Ranking) एक तरह से शहरी प्रशासन के लिए चेतावनी भी है और अवसर भी। चेतावनी इसलिए कि दिखावटी सफाई अब काम नहीं आएगी, और अवसर इसलिए कि जो शहर नदी संरक्षण, जल शुद्धि और नागरिक भागीदारी को गंभीरता से अपनाएंगे, वे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान मजबूत कर सकते हैं। साफ है कि आने वाले समय में शहरों की रैंकिंग अब उनकी नदियों की सेहत से तय होगी, और यही River Based City Ranking का असली आधार बनेगा।
