संपादकीय: कनाडा के पीएम जस्टीन ट्रूडो का इस्तीफा

संपादकीय: कनाडा के पीएम जस्टीन ट्रूडो का इस्तीफा

Resignation of Canadian PM Justin Trudeau

Resignation of Canadian PM Justin Trudeau

Resignation of Canadian PM Justin Trudeau: अंतत: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रूडो ने अपने पद से इस्तीफा दे ही दिया। इसी के साथ उनके दस साल पुराने शासन का अंत हो गया। जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ कनाडा में लोगों का असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा था। जनता का यह रोष देखते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देना ही उचित समझा है।

बहरहाल वे कार्यवाहक प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे। क्योंकि उनके स्थान पर कनाडा की सत्ताधारी लिबरल पार्टी को अपने नये नेता का चुनाव करना है। कनाडा की संसद का सत्र 27 जनवरी से शुरू होने वाला था लेकिन जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के कारण संसद का सत्र 24 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

इस बीच लिबरल पार्टी अपना नया नेता चुन लेगी और उसके बाद ही संसद सत्र शुरू होगा। गौरतलब है कि पिछले दस सालों से जस्टिन ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री रहे हैं। पूर्व में उनकी पिता भी कनाडा के प्रधानमंत्री रह चुके है। ये पिता पुत्र दोनों ही भारत विरोधी रवैया अपनाते रहे हैं। खासतौर पर जस्टिन ट्रूडो ने तो कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों को न सिर्फ बढ़ावा दिया। बल्कि उनकी हर संभव मदद भी की थी।

कनाडा में ही बैठकर खालिस्तानी आतंकवादी भारत के खिलाफ षडयंत्र रचा करते थे। अभी भी कनाडा में शरण लिये बैठे खलिस्तानी आतंकवादी पन्नू ने उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में अयोजित होने वाले महाकुंभ को लेकर धमकी दी है और कहा है कि खालिस्तानी समर्थक 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक प्रयागराज और लखनऊ ऐयरपोर्ट पहुंच जाएं और वहां कश्मीर तथा खालिस्तान का झंडा लहराएं।

पन्नू की तरह ही कनाडा में और कई खालिस्तानी आतंकवादी शरण लिये हुए है। जिनके खिलाफ भारत सरकार ने समय-समय पर कार्यवाही की मांग भी की थी। लेकिन जस्टिन ट्रूडो ने उसकी अनसुनी कर दी। उल्टे जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय राजनायिकों पर कनाडा में एक खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या कराने का आरोप लगा दिया था।

जस्टिन ट्रूडो ने बगैर किसी सबूत के कनाडा के दूतावास में पदस्थ राजनायिकों पर यह संगीन आरोप लगाया था और इस बारे में कनाडा की संसद में बाकायदा बयान दिया था जिसका भारत ने पुरजोर शब्दों में खंडन किया था और दोनों देशों के बीच तल्खी इस कदर बढ़ी थी कि भारत और कनाडा दोनों ने ही अपने राजनायिकों को वापस बुलाया लिया था।

भारत के कठोर रूख अपनाने पर जस्टिन ट्रूडो बौखला गये थे और उन्होंने अमेरिका से मदद की गुहार लगाई थी ट्रीटेन और जापान सहित अन्य देशो के प्रधानमंत्रियों से भी उन्होंने भारत के खिलाफ कार्यवाही करने का अनुरोध किया था लेकिन अमेरिका सहित सभी यूरोपीय देशों ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे।

भारत की कूटनीति के चलते जस्टिन ट्रूडो अलग थलग पड़ गये थे। इस बीच कनाडा में ही जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ जनता में असंतोष फैलने लगा। जिसके चलते आखिरकार उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया।

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