पदोन्नति में आरक्षण : छग में उठी कर्नाटक की तर्ज पर यह कमेटी बनाने की मांग

पदोन्नति में आरक्षण : छग में उठी कर्नाटक की तर्ज पर यह कमेटी बनाने की मांग

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सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री बघेल से की मुलाकात

कर्नाटक ने एसीएस स्तर की रत्नप्रभा कमेटी गठित कर पदोन्नति एक्ट 2018 बनाया

रायपुर/नवप्रदेश। पदोन्नति में आरक्षण (reservation in promotion) प्रदान करने हेतु कर्नाटक (karnatka) की रत्नप्रभा (ratnaprabha committee) कमेटी के तर्ज पर छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) में भी एसीएस स्तर की कमेटी बनाने समेत इस इस मुद्दे (पदोन्नति में आरक्षण) से जुड़ी विभिन्न मांगों को लेकर सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल (social justice and legal cell) (फाउंडेशन) के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की है। साथ ही ज्ञापन भी सौंपा गया।

सीएम आवास पर हुई इस मुलाकात में सेल के प्रतिनिधिमंडल की पदोन्नति में आरक्षण (reservation in promotion) नियम 2003 के उप नियम 5 को नए से प्रतिस्थापित करने व सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों के आधार पर कर्नाटक (karnatka) राज्य पदोन्नति एक्ट 2018 फ्रेम करने रत्नप्रभा (ratnaprabha committee) कमेटी के तर्ज पर छग (chhattisgarh) में भी एसीएस स्तर की कमेटी बनाने को लेकर मुख्यमंत्री बघेल के साथ चर्चा हुई।

यह मुलाकात कराने में पीसीसी उपाध्यक्ष प्रेमचन्द जायसी व िबलाईगढ़ िवधायक चन्द्रदेव रॉय की अहम भूमिका ही। सेल (social justice and legal cell) के विनोद कुमार कोशले ने यह जानकारी दी।

मांगों को पूरा करने सीएम ने दी सहमति

सेल की ओर से बताया गया कि कि मुख्यमंत्री ने उनकी तर्क सम्मत बातों को ध्यान पूर्वक सुना और मांगों को पूर्ण करने सहमति प्रदान की। हमारी मांग रखने से पहले मध्यस्थता कर रहे एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के 12 विधायक मुख्यमंत्री के सामने उक्त बिंदुओं पर चर्चा कर चुके थे।

मुख्यमंत्री के साथ बातचीत में कर्नाटक के रत्न प्रभा कमेटी की तर्ज पर राज्य में एसीएस स्तर की कमेटी बनाने की बात सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल के एडवोकेट ललित जांगड़े, एडवोकेट टी दास सर व लीगल फाउंडेशन स्टेट को-आर्डिनेटर जितेंद्र पाटले ने रखी।

आरिक्षत पदों को अनारक्षित बिंदु पर भरी गई संपूर्ण पदोन्नति सूची रद्द करने की भी मांग

इस दौरान पदोन्नति में आरक्षण पर स्टे होने के के बाद जारी हुई सभी पदोन्नति की समीक्षा कर रोस्टर बिंदु के लिए आरक्षित पदों को अनारक्षित बिंदु पर भरी गई संपूर्ण पदोन्नति सूची निरस्त करने की भी मांग की गई। क्योंकि वर्तमान में सारे रिक्त पदोन्नत पदों को केवल अनारक्षित बिंदु में ही भरा जा रहे है। वरिष्ठता के बावजूद भी अनुसूचित जाति व जनजाति के पात्र  अधिकारी-कर्मचारियों की पदोन्नति विभिन्न विभागों में नहीं की जा रही है।

‘27 फीसदी आेबीसी आरक्षण का लंबित बिल भी हो विस में पारित’

इसके अलावा अनुसूचित जाति आरक्षण 13% व पिछड़ा वर्ग आरक्षण 27% लंबित बिल विधानसभा में पारित करने के लिए भी चर्चा की गई। इस बिंदु पर जल्द ही विधानसभा में बिल पारित करने की बात कही। उक्त बिंदुओं पर चर्चा सहित ज्ञापन सौंपा गया।

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सेल ने विधायकों का आभार व्यक्त किया

मुख्यमंत्री के साथ गुरुवार की महत्वपूर्ण मीटिंग में सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल के साथ मुख्य संयोजन एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के जनप्रतिनिधियों ने किया। इनमें चन्द्रदेव रॉय विधायक बिलाईगढ़, व पीसीसी उपाध्यक्ष प्रेमचन्द जायसी के अलावा विधायक- शकुंतला साहू, उतरी जांगड़े, लाल जीत राठिया, डॉ यूडी मिंज, किस्मत लाल नन्द, भुवनेश्वर बघेल, इंद्र शाह मंडावी, सन्तराम नेताम, राम कुमार यादव, डॉ लक्ष्मी ध्रुव, द्वारिकाधीश यादव, डॉ विनय जायसवाल ने किया। प्रदेश में अनुसूचित जाति,जनजाति व पिछड़ावर्ग के जनप्रतिनिधियों(विधायक) का संवैधानिक मुद्दों पर सहयोग करने के लिए सोशल जस्टिस एंड लीगल फाउंडेशन की ओर से आभार व्यक्त िकया गया।

‘एससी, एसटी, ओबीसी विधायकों को साथ आने की जरूरत’

सेल की ओर से कहा गया है कि इस ज्वलंतशील मूददे पर सभी एससी, एसटी, ओबीसी विधायकों को साथ आने की जरूरत है। उक्त वर्ग के राज्य के मुलनिवासी बुद्धिजीवियों के दिलो में अपने संवैधानिक अधिकारों की प्राप्ति को लेकर जनाक्रोश पनप रहा है। सेल ने बताया क छत्तीसगढ़ राज्य में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू होने पर 200 से अधिक गैर एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के लोगों ने ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पदोन्नति में आरक्षण रोक लगाने के लिए भी एक विचारधारा विशेष के लोगों ने याचिका दायर की थी। सोशल जस्टिस लीगल सेल(फाउंडेशन)की ओर से 1500 हस्तक्षेपकर्ता के रूप में हस्तक्षेप पिटीशन दायर की गई। प्रदेश में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में हस्तक्षेपकर्ता किसी एक मूददे को लेकर तैयार हुए।

ये सदस्य शामिल रहे प्रितिनिधिमंडल में

सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल (फाउंडेशन) के प्रतिनिधिमंडल में अनिल बनज, देव लाल भारती, विश्वास मेश्राम, जितेंद्र पाटले, शिव टण्डन, डॉ मोहन शेंडे, डॉ स्नेह लता हुमने, डॉ शंकर लाल उइके, एडवोकेट टी दास, एडवोकेट ललित जांगड़े, विनोद कोशले, संदीप नेताम जी, वीरेंद्र मिर्चे, विनीता ध्रुव, डॉ भूपेंद्र जांगड़े, दीपक टण्डन, डॉ हुमने, प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज से एल.एल. कोशले प्रांताध्यक्ष, बबलू त्रिवेंद्र, विजय कुर्रे, मोहन बंजारे, गवर्नमेंट एम्प्लाई असोसिएशन की ओर से नरेंद्र जांगड़े शामिल रहे।

ये है रत्नप्रभा कमेटी का मामला

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में पदोन्नति में आरक्षण नियम 2003 के उपनियम 5 के आरक्षण रोस्टर पर उच्च न्यायालय ने 2 माह के लिए रोक लगाई थी। और राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के एम नागराज 2006 प्रतिवेदित जरनैल सिंह प्रकरण के निर्णय अनुसार क्वांटिफाइबल डेटा (प्रतिनिधित्व के आंकड़े) एकत्र कर पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने की शर्त रखी थी। इसी तर्ज पर कर्नाटक राज्य ने रत्नप्रभा कमेटी (एसीएस स्तर की) गठित कर पदोन्नति एक्ट 2018 बनाया। जिसे सुप्रीम कोर्ट बीके पवित्रा 2 जजमेंट में कर्नाटक पदोन्नति नियम बहाल किया। सेल ने मांग की है कि छत्तीसगढ़ में भी इसी तर्ज पर कमेटी बनाई जाए।  

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