रेडी टू इट : धंधा नहीं है मंदा…किसकी मिलीभगत से खा रहे हैं मलाई?
Ready To Eat: कांग्रेसी हैं लाचार, फलफूल रहा है कमीशन का धंधा
बिलासपुर/नवप्रदेश। Ready To Eat: महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित रेडी टू इट पिछले 15 वर्षों से चल रहे है। निसंदेह ये योजना उन बच्चों के लिए ‘मील का पत्थर’ है जिसे एक वक्त की रोटी के इंतजाम करने जद्दोजेहद करना पड़ता है, लेकिन आज इसकी आड़ में कमीशनखोरी का धंधा फलफूल रहा है।
हम बात कर रहे है बिलासपुर (Ready To Eat) जिले की। दरअसल, इस जिले में रेडी टू इट चलाने वाले अधिकांश भाजपाई है, जो 15 वर्षों से कब्जा कर अब तक कमीशन से लाल हो गए है। जाहिर सी बात है, इसमें अधिकारी और भाजपाइयों की मिलीभगत है।
अब जबकि प्रदेश में सरकार बदल गई है इसके बाद भी विभाग के अफसरों द्वारा रेडी टू इट चलाने वालों से मधुर संबंध है। कमीशन के नायब खेल के चलते रेडी टू इट का जिम्मा उन्हीं के झोली में डाल दी जाती है जिन्हें पूर्व में मिला हुआ था। मिलीभगत के जरिए ये काम बड़े सुनियोजित रूप से चल रहा है ।
विभाग के अफसर ऐसा नहीं चाहते
उल्लेखनीय है कि पिछले 15 वर्षों से रेडी टू इट (Ready To Eat) पर भाजपाइयों का कब्जा है और अफसरों से साथ कमीशन का धंधा फलफूल रहा है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि अब रेडी टू इट का काम उन्हें मिलेगा, पर विभाग के अफसर ऐसा नहीं चाहते जिसके चलते भाजपाई और अधिकारी मलाई खा रहे है।
कार्यकर्ता है परेशान
कांग्रेसी कार्यकर्ता ढाई साल से सिर्फ हाथ ही मल रहे है। अंदर ही अंदर उनमें आक्रोश फैल रहा है। कही ऐसा न हो कि कार्यकर्ताओं के सब्र का बांध फुट जाए और सरकार की किरकिरी होने लगे, ऐसे में कार्यकर्ताओं को संभालना मुश्किल हो जायेगा।
कमीशन के खेल में नहीं हुई कोई कार्रवाई
रेडी टू इट (Ready To Eat) चलाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिला कार्यक्रम अधिकारी भाजपा शासन काल से ही एक ही जगह इतनी मजबूती से स्थान जमाए हुए है कि आज सत्ताधारी पार्टी भी उन्हें हटाने में अक्षम दिख रहे है। विभागीय सूत्र की माने तो रेडी टू इट से जुड़े लोगों 12 प्रतिशत कमीशन मिलता है। इसका सीधा अर्थ है कि अधिकारियों की जेब में हर माह लाखों रुपए आने से उनके वारे न्यारे हो रहे है।
वेतन वृद्धि रोकने पर भी नहीं पड़ा फर्क
हालत यह है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी (Ready To Eat) के खिलाफ प्राप्त गंभीर शिकायतो पर 16 मार्च 2015 को आरोप पत्र जारी कर उसे प्रत्युत्तर चाहा गया था। उक्त संबंध में अपचारी अधिकारी द्वारा समयावधि में प्रत्युत्तर ना दे पाने के कारण विभागीय समसंख्यक आदेश दिनांक 30 अगस्त 2015 द्वारा विभागीय जांच संस्थित कर कलेक्टर बिलासपुर को जांच कर्ता अधिकारी तथा जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी बिलासपुर को प्रस्तुत कर्ताअधिकारी नियुक्त किया गया था।
कलेक्टर बिलासपुर (जांच कर्ताअधिकारी ) द्वारा 2 साल बाद जिला कार्यक्रम अधिकारी के खिलाफ शिकायतों पर जांच प्रतिवेदन 21 मई 2017 को पेश किया गया जिसमें सभी आरोप पूर्णत प्रमाणित पाए गए। महिला एवम बाल विकास विभाग के अवर सचिव ने जिला कार्यक्रम अधिकारी के विरुद्ध लगाए गए आरोपों में गंभीर आर्थिक अनियमितता पाए जाने के कारण उनके विरुद्ध छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण,नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के अनुसार उनका 2 वार्षिक वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोक जाने का प्रस्ताव किया।
कार्यवाई की फाइल चलती रही और तत्कालीन विभागीय मंत्री द्वारा 13 जनवरी 2018 को कारवाई पर अनुमोदन किया। अब सवाल यह उठता है कि जहां लाखो के वारे न्यारे हो रहे हो वहां 2 वेतन वृद्धि रोक जाने का कोई फर्क कैसे पड़ सकता है?
आदेश के 8 माह बाद भी नहीं हुआ पालन
भाजपा शासन काल में पुष्प पल्लवित जिला कार्यक्रम अधिकारी (Ready To Eat) को प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद नव नियुक्त विभागीय मंत्री रास नहीं आया। उसी दौरान उप चुनाव में देवकी कर्मा विधायक बन गई तो यह प्रचारित किया जाता रहा कि विभागीय मंत्री की कुर्सी जायेगी और देवकी कर्मा महिला एवम बाल विकास विभाग की मंत्री बनेगी मगर उनका यह सपना पूरा न हो सका। वर्ष 2019 में विभाग में बड़े पैमाने पर तबादला किया गया मगर जिला कार्यक्रम अधिकारी ने चहेते कर्मियों को तबादले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने के लिए अभिप्रेरित किया।
हाईकोर्ट द्वारा फैसला आ जाने और विभाग द्वारा स्थानांतरित कर्मियों को रिलीव करने के आदेश का पालन कैसे किया गया इसका उदाहरण यही है आज दिनांक तक कई परियोजना अधिकारी /पर्यवेक्षकों को रिलीव ही नही किया गया और उन्हे नियम विरुद्ध मलाईदार स्थानों में भेजकर काम लिया जा रहा।
महिला एवम बाल विकास विभाग की संचालक दिव्या उमेश मिश्रा द्वारा 23 नवंबर 2020 को प्रदेश के कई जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी को आदेश जारी कर कहा गया था कि बार बार निर्देश देने के बाद भी स्थानांतरित पर्यवेक्षकों और लिपिक वर्गीय कर्मचारियों को बिना किसी विशेष कारण के उनके नवीन पद स्थापना स्थल हेतु मुक्त नहीं किया जाकर उनसे अनाधिकृत रुप से पुराने स्थापना स्थल पर ही कार्य लिया जा रहा है जो कि अत्यंत आपत्तिजनक है।
तत्सम्बंध में निर्देशित किया जाता है कि ऐसे प्रकरण जिनमें माननीय न्यायालय द्वारा साथ दिया गया है को छोड़कर शेष समस्त स्थानांतरित पर्यवेक्षक ,लिपिक वर्गीय कर्मचारियों को उनके स्थानांतरित कार्यालयों हेतु “आज ही* भारमुक्त करते हुए वांछित जानकारी पूर्व प्रेषित निर्धारित प्रपत्र में तत्काल उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें अन्यथा आपके विरुद्ध शासकिय आदेश के पालन की अवहेलना करने के आरोप में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी जिसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार रहेंगे।
विभाग के संचालक के इस आज हीवाले आदेश का भी पालन जिला कार्यक्रम अधिकारी ने नही किया और अनेक कर्मचारियों को आदेश के 8 माह बाद भी भारमुक्त नही किया गया है लेकिन आश्चर्य यह है इसके बाद भी जिला कार्यक्रम अधिकारी के खिलाफ कोई कारवाई नही हो सकी और वे भाजपा समर्थकों को रेडी टू इट देने के लिए पूरी जोर आजमाइश लगा रहे है ।कांग्रेसी कार्यकर्ता विवश और लाचार है। कांग्रेसी बड़े नेता भी मौन है।