पुरी में रथ यात्रा कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए शुरू,भक्त कर रहे हैं ऑनलाइन दर्शन….

पुरी में रथ यात्रा कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए शुरू,भक्त कर रहे हैं ऑनलाइन दर्शन….

Rath Yatra starts in Puri following Corona guide line, devotees are doing online darshan....

Rathyatra 2021

Rath Yatra 2021 : 9 दिन मौसी के घर विराजेंगे महाप्रभु

पुरी। Rath Yatra 2021: एक पीढ़ी में दूसरी बार, भगवान जगन्नाथ और उनके दिव्य भाई-बहनों-भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा आज जनता की भागीदारी के बिना ही मनाई जा रही है। जैसा कि कोविड -19 महामारी के स्वास्थ्यगत कारणों से सरकार द्वारा जनता के हित में ये निर्णय लिया गया है।

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन, पुरी जिला प्रशासन और पुलिस ने केवल 500 भक्तों को रथ (Rath Yatra 2021) खींचने की अनुमति दी है। सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार रथ उत्सव के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। तीर्थ नगरी, जहां आमतौर पर शुभ अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है, जिला प्रशासन द्वारा सार्वजनिक समारोहों को रोकने के लिए लगाए गए निषेधाज्ञा के कारण आज लगभग वीरान नजर आ रहा है।

छत्तीस निजोग, दैतापति और अन्य के सदस्यों सहित सभी सेवकों ने त्रिमूर्ति की यात्रा से पहले सुबह से ही अनुष्ठान शुरू कर दिया है। श्री मंदिर से महाप्रभु जगन्नाथ ,प्रभु बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथों (Rath Yatra 2021) में विराजित करने का सिलसिला जारी है। भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष, भगवान बलभद्र के तालध्वज और देवी सुभद्रा के दर्पदलन, देवताओं का गर्मजोशी से स्वागत करने और उन्हें अपनी मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) ले जाने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

रथों का छेरा पन्हारा

सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार, पुरी के राजा गजपति पवित्र सुगंधित जल छिड़क कर रथों के फर्श पर झाड़ू लगाते हैं। नीति एक शाही शुद्धिकरण समारोह का प्रतीक है और हमारे समाज के एक विशाल सामाजिक-धार्मिक पहलू को भी दर्शाती है कि न केवल आम आदमी बल्कि एक राजा स्वयं सर्वोच्च भगवान का दास है। इसे ही छेरा पन्हारा कहा जाता है। इसके बाद महाप्रभु को रथ में विराजित किया जाता है।

तीन रथ का महत्व

रथ यात्रा (Rath Yatra 2021) में सबसे आगे भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज , बीच में देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष निकलता है। जगन्नाथ रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से आरंभ होकर दशमी तिथि को समाप्त होती है। मान्यता है कि इस रथ यात्रा के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते हैं और महाप्रभु की कृपा से बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। कोरोना संकट को देखते हुए इस बार भी भक्तों को महाप्रभु जगन्नाथ का दर्शन ऑनलाइन करवाया जा रहा है।

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