प्रधान मंत्री मोदी का नो पॉलिथीन अभियान, एक मुश्किल शुरुआत |

प्रधान मंत्री मोदी का नो पॉलिथीन अभियान, एक मुश्किल शुरुआत

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योगेश्वर मिश्र

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (rashtrapita mahatma gandhi) की 150वीं जयंती (150th birth anniversary) पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (prime minister narendra modi) ‘क्विट पॉलिथीन’ (quit polythene) के जिस अभियान (mission) को हाथ में लेने की मुहिम छेडऩे वाले हैं। वह एक मुश्किल शुरुआत (difficult beginning) है।

हालांकि नरेन्द्र मोदी (prime minister narendra modi) मुश्किल कामों को एजेंडे में लेने और उसे मंजिल तक पहुंचाने के महारथी माने जाते हैं। अपने फैसलों के प्रति उनमें जो संकल्प होता है। उससे ही यह समझा जा सकता है कि फैसलों को मंजिल का मिलना तय है। उन्होंने कई बड़े फैसलों को मुकाम तक पहुंचाया है। पॉलिथीन को ना कहने की उनकी मुहिम इसी की एक नई कड़ी है। बापू (mahatma gandhi) कहा करते थे कि राजनीतिक स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी है स्वच्छता।

दुनिया के पैमाने पर 20वीं शताब्दी के पहले तीन दशक में ही पॉलिथीन (polythene) मशहूर हो गई थी। लियो बैकलैंड ने फिनॉल और फॉर्मल डीहाईड नामक रसायनों के प्रयोग से कम लागत वाला कृत्रिम रेसिम बनाया। जो पॉलिथीन के नाम से प्रचलित हुआ। इसके आविष्कारक के नाम पर ही इसे बैक लाइट कहा गया। बेल्जियम निवासी लियो बैकलैंड एक गरीब परिवार से थे।

पॉलिथीन (polythene) की लोकप्रियता तब बढ़ी जब 1924 में टाइम मैग्जीन ने इसके आविष्कारक लियो की फोटो कवर पेज पर छापकर लिखा- यह न जलेगा, न पिघलेगा। बैकलैंड की सफलता के बाद दुनिया भर की साइंस लैबों से प्लास्टिक के तरह-तरह के रूप सामने आने लगे। देखते-देखते पॉलिथीन जिंदगी और कामकाज का अभिन्न अंग बन गया। धरती पर प्लास्टिक की उम्र मात्र 112 वर्ष है लेकिन इतने कम समय में ही गजब की आफत इसने ढा दी है।

दुनिया में कुल प्लास्टिक का 34 फीसदी हिस्सा पॉलिथीन का है। दुनिया में सन 1950 से 9 बिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन हो चुका है। जो 4-4 माउंट एवरेस्ट के बराबर है। 2011 में सुजैन फ्रैंक ने अपनी किताब ‘ए टॉक्सिक लव स्टोरी’ में लिखा कि हम रोजाना औसतन 196 ऐसी वस्तुओं का प्रयोग करते हैं जो प्लास्टिक से बनी हैं।

जबकि 102 ऐसी चीजों का प्रयोग करते हैं जो प्लास्टिक की नहीं होती हैं। सेल्यूलोस, कोयला, प्राकृतिक गैस, नमक और कच्चा तेल जैसे प्राकृतिक उत्पादों से प्लास्टिक बनाते हैं। प्लास्टिक को पॉलीमर भी कहते हैं। दुनिया में कितनी प्लास्टिक बनती है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हम अपने पूरे तेल उत्पादन का 8 फीसदी हिस्सा प्लास्टिक उत्पादन में लगाते हैं।

आज के समय में प्लास्टिक से बड़ा कोई जहर नहीं है। मानव द्वारा निर्मित चीजों में प्लास्टिक एक ऐसी चीज है जो माउंट एवरेस्ट से लेकर सागर की तलहटी तक सब जगह मिल जाती है। समुद्र तटों, नदी-नालों, खेत-खलिहानों, भूमि के अन्दर-बाहर सब जगहों पर आज प्लास्टिक के आइटम अटे पड़े हुए हैं। प्लास्टिक कचरे से नालियां बंद हो जाती है, धरती की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है, भूगर्भ का जल अपेय बन जाता है, रंगीन प्लास्टिक बैग से कैंसर जैसे असाध्य रोग हो जाते हैं। लाखों गायों की जान चली जाती हैं।

बोतल बंद पानी में 6.5-100 माइक्रान तक के 314 कण पाए जाते हैं। जबकि 100 माइक्रान से बड़े प्रति लीटर में 10 कण पाए जाते हैं। बोतल बंद पानी में माइक्रो बीट्स नाम के अत्यंत छोटे कण भी होते हैं। अमेरिका में ये 2015 से प्रतिबंधित हैं। फ्रांस में प्लास्टिक प्रतिबंधित है। रवांडा 2008 से प्लास्टिक मुक्त है। आयरलैंड ने इस पर इतना टैक्स लगा रखा है कि पॉलिथीन का 94 फीसदी उपयोग खत्म हो गया है। बावजूद इसके एक भारतीय प्रतिवर्ष 11 किलो प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है। प्लास्टिक का कचरा हमारे लिये समस्या बन गया। भारत में रोज 26 हजार टन का कचरा निकलता है।

94 फीसदी प्लास्टिक (plastic) रिसाइकिल की जा सकती है। लेकिन भारत में सिर्फ 60 फीसदी प्लास्टिक रिसाइकिल हो सकती है। इस कचरे ने शहरी जीवन में ज्यादा दुश्वारियां पैदा की हैं। किसी भी शहर में प्लास्टिक की उपस्थिति बारिश वाले दिन जांची और परखी जा सकती है। हर शहर के ड्रेनेज सिस्टम को इसने चोक कर रखा है।

दुनिया की दस प्रमुख नदियों से 90 फीसदी प्लास्टिक समुद्र में पहुंचता है। मेघना, ब्रह्मपुत्र और गंगा जैसी नदियों से 72,854 टन प्लास्टिक समुद्र में जाता है। समुद्र में जाने वाले प्लास्टिक के चलते उत्पन्न हुए प्रदूषण से हर साल दस लाख समुद्री पक्षी और एक लाख स्तनधारी जीव मरते हैं।

नरेन्द्र मोदी (prime minister narendra modi) ने 2022 तक देश को इस महामारी से मुक्त कराने का संकल्प लिया। इसके लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण संबंधी सर्वोच्च पुरस्कार ‘यूएनईपी चैम्पियंस ऑफ द अर्थ’ से सम्मानित भी किया जा चुका है। प्रधानमंत्री मोदी स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से प्लास्टिक-पॉलिथीन को त्यागने के अभियान में सारे देशवासियों का सहयोग व समर्थन मांग चुके हैं। भाजपा की राज्य सरकारों ने नरेन्द्र मोदी के पॉलिथीन त्यागने के इस अभियान की शुरूआत भी काफी हद तक कर दी है।

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