Rakhi ka Market : औंधे मुंह गिरी चीनी राखी..भारतीय राखी की बंपर बिक्री...देशभर में हुआ इतने का कारोबार

Rakhi ka Market : औंधे मुंह गिरी चीनी राखी..भारतीय राखी की बंपर बिक्री…देशभर में हुआ इतने का कारोबार

Rakhi ka Market: Chinese Rakhi fell upside down.. Bumper sale of Indian Rakhi...

Rakhi ka Market

रायपुर/नवप्रदेश। Rakhi ka Market : इस बर्ष रक्षाबंधन के त्यौहार में चीनी राखी औंधे मुंह गिरी, क्योंकि भारतीय राखी की बंपर बिक्री से व्यापारी वर्ग बेहद खुश है। जी हां, रक्षाबंधन के दूसरे दिन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एक विज्ञिप्ति जारी कर यह जानकारी दी।

कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी,  प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने सयुक्त रूप से ब्यान जारी करते हुए बताया कि, इस साल एक बार फिर देश भर के व्यापारियों और भारत के लोगों ने किसी भी प्रकार की चीनी राखी का उपयोग करने के बजाय ‘भारतीय राखी’ का चयन करके चीन को राखी व्यापार को एक बड़ा झटका दिया।

देशभर में हुआ 7 हजार करोड़ का राखी कारोबार

व्यावहारिक रूप से इस वर्ष चीनी राखी की कोई मांग (Rakhi ka Market) ही नहीं थी और पूरे देश के बाजारों में केवल भारतीय राखी की ही बहुत मांग थी। लोगों के इस बदलते रूख से यह अंदाजा लगाना बेहद सहज है की धीरे धीरे भारत के लोग अपने दैनिक जीवन में चीनी सामानों के उपयोग नहीं कर रहे हैं। इस वर्ष पूरे देश में लगभग 7 हजार करोड़ का राखी का व्यापार हुआ। भारतीय त्योहारों के गौरवशाली अतीत को पुनः प्राप्त करने की दृष्टि से कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने लोगों से “वैदिक राखी“ के उपयोग का भी आह्वान किया जिससे भारत की प्राचीन संस्कृति और राखी त्योहार की पवित्रता को पुनर्जीवित किया जाए।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पारवानी और प्रदेश अध्यक्ष दोशी ने कहा कि भारत का हर त्योहार देश की पुरानी संस्कृति और सभ्यता से जुड़ा हुआ है जो तेजी से पश्चिमीकरण के कारण से बहुत नष्ट हो गया है और इसलिए भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए और चीन पर भारत की निर्भरता को कम करके भारत को एक आत्मनिर्भर देश बनाना बेहद जरूरी है वह समय चला गया है जब भारतीय लोग चीनी राखी के डिजाइन और लागत प्रभावी होने के कारण उसको खरीदने के लिए उत्सुक रहते थे।  

वैदिक रक्षा राखी पर दिया जोर

पारवानी और दोशी दोनों ने कहा कि कैट के तत्वावधान में पूरे देश में व्यापारी संगठनों ने इस वर्ष वैदिक रक्षा राखी की तैयारी पर अधिक जोर दिया जिसमें अनिवार्य रूप से पांच चीजें हैं जिनकी अपनी प्रासंगिकता है जिसमें दूर्वा यानी घास, अक्षत यानी चावल, केसर, चंदन और सरसों के दाने। इन्हें रेशम के कपड़े में सिलकर कलावा से पिरोया जा सकता है और इस प्रकार वैदिक राखी तैयार की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि इन पांच चीजों का विशेष वैदिक महत्व है जो परिवार की रक्षा और उपचार से संबंधित है। जिस प्रकार दूर्वा का अंकुर बुवाई के बाद तेजी से फैलता है और हजारों की संख्या में बढ़ता है, वैसे ही बहन की प्रार्थना है कि मेरे भाई की संतान और उसके गुणों में तेजी से वृद्धि हो। पुण्य, मन की पवित्रता तेजी से बढ़े। दूर्वा भगवान गणेश को प्रिय है और यह दर्शाता है कि बहनों के भाई अपने जीवन में बाधाओं को नष्ट कर देंगे और सभी बड़ों की भक्ति कभी भी बर्बाद नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि केसर का स्वभाव तेज (Rakhi ka Market) होता है, अर्थात जो राखी बांधी जाती है वह तेजस्वी होती है। अध्यात्म और भक्ति की तीव्रता कभी मिटती नहीं है, वैसे ही चंदन का स्वभाव उज्ज्वल होता है, एक सुखद सुगंध होती है जो भाई के जीवन में शीतलता का प्रतीक है और उसे कभी भी मानसिक तनाव नहीं होना चाहिए और साथ ही साथ परोपकार की सुगंध भी होनी चाहिए। उसके जीवन में सदाचार और आत्मसंयम का प्रसार होना चाहिए। सरसों का स्वभाव तीक्ष्ण होता है, जिसका अर्थ है कि हमें समाज के दोषों को दूर करने में प्रबल होना चाहिए।

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