Raja Raghuwanshi Murder Case : “दो मिनट में उजड़ गया रिश्ता: भाई की आंखों में दिखी बहन की सच्चाई…राजा रघुवंशी मर्डर केस में उठे अंतरात्मा और इंसाफ के सवाल”…

इंदौर, 15 जून| Raja Raghuwanshi Murder Case : राजा रघुवंशी हत्याकांड अब महज एक पुलिस केस नहीं रह गया है — यह एक टूटते हुए परिवार, लड़खड़ाते सामाजिक मूल्यों और रिश्तों की उन बारीक परतों की कहानी बन गया है, जिसमें एक भाई ने अपनी ही बहन को हत्यारिन मान लिया।
सिर्फ दो मिनट, और टूट गया खून का रिश्ता
सोनम के भाई गोविंद की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। जब वह गाजीपुर में सिर्फ दो मिनट के लिए अपनी बहन सोनम से मिले, तो ना आंखें मिलीं, ना बातों में सच्चाई दिखी। उन दो मिनटों में जो नज़रें चुराईं गईं, वे गवाही बन गईं। गोविंद ने उसी पल तय कर लिया — “यह मेरी बहन नहीं रही… यह अब एक अपराधी है।”
जिद, नियंत्रण और मनोवैज्ञानिक परतें
गोविंद का बयान सोनम के बचपन के व्यवहार पर भी रोशनी डालता (Raja Raghuwanshi Murder Case)है। उन्होंने कहा कि सोनम हमेशा से ज़िद्दी थी, 60-70% घर के फैसले उसकी जिद के मुताबिक होते थे।
क्या यही जिद हत्या की ओर ले गई? या फिर किसी और के बहकावे में आकर प्लान बना?
यह सवाल अब सिर्फ पुलिस नहीं, पूरा समाज पूछ रहा है।
नरबलि की बात पर भाई की प्रतिक्रिया — “पिता को मारने वाली नहीं थी”
राजा के भाई सचिन ने जो कहा — कि सोनम अपने पिता को बचाने के लिए नरबलि भी दे सकती थी — उस पर गोविंद ने सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “अगर नरबलि से कोई स्वस्थ हो जाता तो दुनिया में हर अस्पताल खाली होता।”
ये शब्द बताने के लिए काफी (Raja Raghuwanshi Murder Case)हैं कि यह केस अब धर्म, तर्क और मानवीय संवेदनाओं के बीच झूल रहा है।
फांसी की मांग, लेकिन क्यों?
जब गोविंद से पूछा गया कि क्या वह अपनी बहन से फिर मिलना चाहेंगे — तो उन्होंने कहा,
“हमने उसे मरा हुआ मान लिया है।”
“हमने उसका सामाजिक बायकॉट कर दिया है।”
उन्होंने फांसी की सीधी मांग की — न कि किसी रियायत या सजा में नरमी की।
नार्को टेस्ट: सच्चाई की आखिरी उम्मीद
गोविंद और रघुवंशी परिवार दोनों की ओर से सोनम का नार्को टेस्ट करवाने की मांग उठ रही (Raja Raghuwanshi Murder Case)है। सवाल सिर्फ इतना नहीं कि हत्या क्यों की — सवाल ये है कि इस ‘प्लानिंग’ की जड़ कितनी गहरी है?