संपादकीय: राहुल गांधी ने सरकार को दिखाया आईना

संपादकीय: राहुल गांधी ने सरकार को दिखाया आईना

Rahul Gandhi showed mirror to the government

Rahul Gandhi showed mirror to the government


Rahul Gandhi showed mirror to the government: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आक्रामक तेवर दिखाते हुए सरकार को आईना दिखाया। उनका एक घंटे चालीस मिनट का धाराप्रवाह भाषण सुनकर सत्ता पक्ष हतप्रभ दिखा।

जिस राहुल गांधी का पप्पू कहकर मजाक उड़ाया जाता था, उन्हें अगंभीर और अपरिपक्व नेता तथा पार्ट टाइम पालिटिशियन बताया जाता था, उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के रूप में दिए गए अपने पहले भाषण से यह साबित कर दिया कि वे अब नये अवतार में आ गए हैं। न उनके पास शब्दों की कमी दिखी न ही विचार शून्य नजर आए। उनका आत्मविश्वास वाकई तारीफ के काबिल था। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उन्होंने इतने कम समय में सरकार को घेरने के लिए मुद्दे तय कर लिए और तथ्य भी जुटा लिए यह उनकी कार्य कुशलता का परिचायक है।

उनके भाषण के दौरान प्रधानमंत्री से लेकर कई मंत्रियों को और यहां तक कि लोकसभा स्पीकर को भी टोका-टाकी करनी पड़ी, किंतु इससे भी राहुल गांधी (Rahul Gandhi showed mirror to the government) विचलित नहीं हुए उल्टे हाजिर जवाबी से उनकी बोलती बंद कर दी। यदि यह कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मंत्रियों ने टीका टिप्पणी कर राहुल गांधी का नेता प्रतिपक्ष के रूप में कद और बढ़ा दिया। सबसे बड़ी बात यह कि राहुल गांधी न सिर्फ कांग्रेस के नेता के रूप में बल्कि आईएनडीआईए के सर्वमान्य नेता के रूप में स्वयं को प्रतिष्ठित करने में सफल रहे।

राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान उन्हीं मुद्दों को उठाया जिसे आईएनडीआईए में शामिल उनके सहयोगी दल समय-समय पर उठाते रहे हैं चाहे वह बेरोजगारी का मामला हो या फिर मणिपुर हिंसा हो या फिर किसानों को एमएसपी की बात हो राहुल गांधी ने इन सभी मुद्दों को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की।

नीट पेपर लीक मामले को भी उन्होंने पुरजोर ढंग से उठाया और सरकार पर यह गंभीर आरोप लगाया कि नीट परीक्षा अब प्रोफेशनल नहीं बल्कि कमर्शियल हो गई है। इसे कमाई का जरिया बनाकर लाखों छात्रों का भविष्य अंधकारमय कर दिया गया है। किसानों के मुद्दे पर भी उन्होंने सरकार पर तीखे हमले किए और कहा कि एमएसपी लागू करने का वादा सरकार पूरा नहीं कर पा रही है।

किसानों की आय दोगुना करने का शब्जबाग दिखाकर सत्ता में आई एनडीए सरकार के कार्यकाल में आज किसान की आमदनी सिर्फ 27 रुपए प्रतिदिन हो गई है। नतीजतन कर्ज में डूबे किसान आत्महत्या करने पर बाध्य हो रहे हैं। अग्निवीर योजना को लेकर भी राहुल गांधी ने सरकार को आड़े हाथों लिया और यह घोषणा कर दी कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आई तो वे अग्निवीर योजना को खत्म कर देंगे।

राहुल गांधी (Rahul Gandhi showed mirror to the government) ने सबसे बड़ा हमला तो भाजपा के हिंदुत्व वाले ब्रम्हास्त्र पर किया और भाजपा के इस औजार की धार को कुंद करने की कोशिश की। यद्यपि वे इस मामले में सीमा लांघ गए और यह विवादास्पद बोल गए कि खुद को हिन्दु कहने वाले लोग चौबीसों घंटे हिंसा और नफरत की बात करते हैं।

उनके इस कथन पर सदन में सत्ता पक्ष ने जमकर हंगामा किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसे एक गंभीर विषय बताया। बाद में राहुल गांधी ने इस मामले को संभालने की कोशिश जरूर की, लेकिन तब तक तीर कमान से निकल चुका था। दरअसल राहुल गांधी भाजपा पर हिन्दुत्व की राजनीति करने का आरोप लगा रहे थे और भावावेश में गलती कर बैठे। उन्होंने केन्द्रीय जांच ऐजेंसियों के दुरूपयोग का भी आरोप लगाया और एक तरह से आईएनडीआईए में शामिल उन राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को ढाल बनने की कोशिश की जिनके खिलाफ ईडी और सीबीआई की जांच चल रही है।

कुल मिलाकर राहुल गांधी फ्रंट फूट पर खेलते नजर आए, जबकि सत्ता पक्ष बैकफुट पर दिखा। गौरतलब है कि दस साल की लंबी प्रतिक्षा के बाद विपक्ष को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद मिला है और इस पर राहुल गांधी आसीन हुए हैं। पिछले दस सालों के दौरान विपक्ष इतना कमजोर था कि वह नेता प्रतिपक्ष बनने लायक भी सीटें नहीं ला पाया था। इसलिए मोदी सरकार संसद में विपक्ष पर हावी रहती थी, किन्तु 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणामों ने जहां भाजपा की सीटें कम कर दी है, वहीं पहली बार इतना सशक्त विपक्ष।

सुना है कि वह अब सरकार को सदन में कड़ी चुनौती देने की स्थिति में आ गई है। कांग्रेस ने 99 सीटें प्राप्त करके अपना नेता प्रतिपक्ष चुन लिया है और राहुल गांधी ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपनी प्रभावी भूमिका निभाकर फस्र्ट इम्प्रेशन इज लास्ट इम्प्रेशन वाली कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है। राहुल गांधी पिछले दो दशक से सांसद हैं और इन दो दशकों के दौरान उन्होंने लोकसभा में सौ सवाल भी नहीं पूछे थे, वे सिर्फ 25 चर्चाओं में ही भाग लिया था।

सदन में उनकी उपस्थिति भी नगण्य रही है। ऐसी स्थिति में सत्ता पक्ष को यह उम्मीद कतई नहीं थी कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के रूप में ऐसे तेवर दिखाएंगे और सरकार से दो-दो हाथ करने के लिए पूरी तैयारी के साथ नजर आएंगे। राहुल गांधी (Rahul Gandhi showed mirror to the government) के भाषण के दौरान पहली बार सदन में यह देखने को मिला कि किसी भी नेता प्रतिपक्ष के भाषण के दौरान कितने सारे मंत्रियों को खड़े होकर जवाब देना पड़ा हो।

यह याद नहीं पड़ता कि कभी किसी प्रधानमंत्री को एक नहीं बल्कि दो बार नेता प्रतिपक्ष के भाषण में हस्तक्षेप करना पड़ा हो। कुल मिलाकर राहुल गांधी ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपने चयन की सार्थकता सिद्ध कर दिखाई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे पूरे पांच साल तक इसी तरह आक्रामक तेवर दिखाकर घेरने में सफल हो पाते हैं या नहीं।

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