Rahul Gandhi Court Case : कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ी राहत, उनके विरुद्ध दायर निगरानी याचिका निरस्त

Rahul Gandhi Court Case

Rahul Gandhi Court Case

Rahul Gandhi Court Case : कांग्रेस नेता (Rahul Gandhi Court Case) राहुल गांधी के विरुद्ध दायर निगरानी याचिका पर मंगलवार को कोर्ट का फैसला आ गया। एमपी-एमएलए कोर्ट के एडीजे राकेश ने निगरानी याचिका निरस्त करते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को सही ठहराया है। न्यायाधीश ने कहा कि मजिस्ट्रेट के आदेश में कोई विधिक खामी नहीं है। इस आदेश से राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है और मामला अब समाप्त हो गया है।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं रायबरेली से सांसद राहुल गांधी पर 24 अक्टूबर 2013 को मध्य प्रदेश के इंदौर में आयोजित जनसभा में दिए गए बयान को लेकर मामला दर्ज किया गया था। आरोप था कि उन्होंने कहा था कि मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ित मुस्लिम युवकों ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (Rahul Gandhi Court Case) से संपर्क साधा है। इस बयान को लेकर स्थानीय अधिवक्ता मोहम्मद अनवर ने कोतवाली नगर के घरहां खुर्द गांव से परिवाद दायर किया था।

30 जनवरी 2025 को एमपी-एमएलए कोर्ट के मजिस्ट्रेट शुभम वर्मा ने परिवाद निरस्त कर दिया था। इसके बाद परिवादी ने इस आदेश के खिलाफ सेशन कोर्ट में निगरानी याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने 23 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रखा था। मंगलवार को एडीजे राकेश ने सुनवाई के बाद कहा कि मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा दिया गया आदेश पूरी तरह विधिक और सही है, इसलिए निगरानी याचिका निरस्त की जाती है। इस निर्णय से राहुल गांधी (Rahul Gandhi Court Case) को बड़ी कानूनी राहत मिली है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने फैसले के बाद राहत की सांस ली और कोर्ट परिसर के बाहर खुशी जताई।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला वर्ष 2013 का है जब राहुल गांधी ने इंदौर में एक जनसभा के दौरान कहा था कि मुजफ्फरनगर दंगों में प्रभावित कुछ युवक आईएसआई से संपर्क में हैं। उनके इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में बड़ा विवाद हुआ था और कई स्थानों पर उनके खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने के आरोपों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे।

कोर्ट ने क्या कहा

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में सभी साक्ष्यों का परीक्षण किया था और किसी विधिक खामी की संभावना नहीं है। इसलिए मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को सही ठहराया जाता है। अदालत ने परिवादी की याचिका को निरस्त करते हुए यह भी कहा कि कोई नया सबूत या ठोस कारण पेश नहीं किया गया है जिससे निर्णय बदला जा सके।

You may have missed