Punni Mela : छत्तीसगढ़ का महामेला-राजिम माघी पुन्नी मेला

Punni Mela : छत्तीसगढ़ का महामेला-राजिम माघी पुन्नी मेला

Punni Mela : Mahamela of Chhattisgarh - Rajim Maghi Punni Fair

Punni Mela

विजय मिश्रा ‘अमित’। Punni Mela : खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्य छत्तीसगढ़ अति प्राचीन काल से मेला मड़ाईओं का भी गढ़ रहा है।यहां माघ माह की पूर्णिमा पर लगभग सभी प्रतिष्ठित शिवालयों में,नदी, तालाबों के तट पर मनमोहक मेले लगते हैं।जहां ग्रामीण जनों का रेला,जमावड़ाऔर उत्साह देखते ही बनता है।

छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध माघी पुन्नी मेलों में सर्वाधिक बड़ाऔर जनप्रिय मेला राजिम माघी पुन्नी मेला है।छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग पचास किलोमीटर की दूरी पर पक्के सड़क से संबद्ध राजिम ‘धर्म नगरी’ और ‘छत्तीसगढ़ का प्रयाग’ तथा ‘शिव-वैष्णव धर्म का संगम’ तीर्थ के नाम से भी ख्याति प्राप्त है। दरअसल प्रयागराज इलाहाबाद की भांति यहां पैरी,सोढ़ूर और महानदी का त्रिवेणी संगम है। प्रयाग के संगम की भांति यहां प्रदेशवासी अस्थि विसर्जन ,पिण्ड दान, कर्मकांड करते हैं।

इस त्रिवेणी के तट पर ही प्रति वर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक विशाल मेला भरता है।इस वर्ष 16 फरवरी से आरंभ होकर 1 मार्च अर्थात महाशिवरात्रि तक आयोजित मेले में आए संतजन और श्रद्धालुओं के त्रिवेणी संगम स्नान हेतु निर्मित कुंड में सिकासेर जलाशय से जलापूर्ति की गई है।जिसमें 16 फरवरी माघ पूर्णिमा,23 फरवरी जानकी जयंती और 1 मार्च महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर श्रद्धालुओं द्वारा शाही स्नान किया जावेगा।

पुण्य स्नान उपरांत अनेक श्रद्धालुजन महानदी की रेत से शिवलिंग तैयार करके बेलपत्र,धतूरा,कनेर के फूल,नारियल से पूजा अर्चना करते है।पवित्र भावनाओं से प्रज्ज्वलित अगरबत्ती और धूप की खुशबू से वातावरण सुगंधित हो उठता है।यह बंया करता है राजिम मेला महज़ मनोरंजनगाह नहीं है।

वनवास काल में सीता जी ने किया शिवलिंग निर्माण

ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ में 10 वर्ष बिताए थे। इसी वनवास काल में माता सीता ने राजिम में महानदी (Punni Mela) की रेत से शिवलिंग निर्मित कर आराधना की थी।उसी स्थल पर वर्षों पूर्व निर्मित कुलेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर जनाकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

इसी तट पर प्रभु श्री राजीवलोचन का पुरातन भव्य मंदिर भी है।जिनका जन्मोत्सव माघ माह की पूर्णिमा को ही मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है इस दिन भगवान जगन्नाथ उड़ीसा से राजीवलोचन जन्मोत्सव मनाने राजिम आते हैं,जिसके कारण उड़ीसा स्थित जगन्नाथ मंदिर का पट बंद रहता है।मेला स्थल से कुछ दूरी पर स्थित चम्पारण में श्री महाप्रभु वल्लभाचार्य जी प्रकाट्य स्थल,लोमश ऋषि आश्रम,भक्त माता कर्मा,और अन्य देवालयों का दर्शन लाभ मेला भ्रमणार्थियों को सहज मिल जाता है।

छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी पुण्य सलिला महानदी के तट पर स्थित राजीवलोचन मंदिर से लगा स्थल सीताबाड़ी है।जिसमें मौर्यकालीन,14 वीं शताब्दी तथा सम्राट अशोक काल के मंदिर,सिक्के,मूर्तियां अनेक कलाकृतियां प्राप्त हुई हैं,जो कि वैभवशाली इतिहास की साक्षी हैं।

पंचकोशी परिक्रमा

माघी पुन्नी मेला स्थल से अनेक श्रद्धालुगण पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत करते हैं।यहां कुलेश्वर महादेव के दर्शनोंपरांत धर्मालुओं का जत्था हर-हर महादेव जपते पटेश्वर महादेव पटेवा, चम्पेश्वर महादेव चंपारण, फिगेंश्वर महादेव फिंगेश्वर और कोपेश्वर महादेव कोपरा के स्वयंभू शिवलिंग का दर्शन कर परिक्रमा पूरी करते हैं। ग्रामीण संस्कृति का संरक्षण और नवपीढ़ी तक परम्पराओं का संचार की द्रष्टि से यह बहुपयोगी है।

मेले की रंगीन शाम कलाकारों के नाम

पखवाड़े भर मेला में आए दर्शनार्थियों को रंगीन रोशनी के साथ प्रतिष्ठित लोकमंचो की प्रस्तुति का आंनद मिलता है।जहां वे पंथी,पण्डवानी,करमा,सुवा, नाचा आदि लोकनृत्यों का लुत्फ उठाते हैं।मेला स्थल पर महानदी की पसरी रेत की चमक मेला के दौरान दमक उठती है। यहां सरकारी विभागों की प्रदर्शनी,खेल तमाशे,एवं साज श्रृंगार, पारम्परिक गहनों, खान-पान, के स्टाल ,विविध किस्म के झूलों का मजा लाखों दर्शकों के भीतर नवऊर्जा का संचार करता है।

लक्ष्मण झूले की सौगात

सैकड़ों साल से भरते आए राजिम माघी पुन्नी मेला स्थल पर इस वर्ष पहली बार लक्ष्मण झूला का निर्माण किया गया है।नवनिर्मित झूले का लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के करकमलों से होगा। रंग-बिरंगे चिताकर्षक लाइटों से सुसज्जित लक्ष्मण झूला, लेजऱ शो आगंतुकों को मोहित करता है।साथ ही राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की गौरवशाली सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित रखने की दिशा में जारी प्रयासों और अर्जित सफलताओं का साक्षी बन गया है।

मदिरालय बंद : सराहनीय फैसला

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणानुरूप इस वर्ष मेला (Punni Mela) के दौरान राजिम सहित आसपास की देसी- विदेशी मदिरा दुकानें बंद रहेंगी।सरकार का यह सराहनीय निर्णय मेला के दौरान बेहतरीन कानून ब्यवस्था,साफ सफाई,शांत पारिवारिक-धार्मिक माहौल को बनाए रखने में कारगर है।साथ ही साथ आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का त्रिवेणी संगम राजिम माघी पुन्नी मेला आयोजन को सार्थक कर रहा है।

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